कच्चा माल मटेरिअल मशिनरी खरीदारी (Raw Material & Machinery)

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बाजार की क्या माँग हैं? कौन-से माल की, कौन-से उत्पादन की अधिक माँग हैं, जिस उत्पादन की अधिक मार्केट हैं, लेकिन बाजार में उसकी आपूर्ति कम हैं ऐसे उत्पादनों का अध्ययन करके यदि हमने व्यवसाय का चयन किया हो और जिस उत्पादन की माँग अधिक है, परंतु उसकी पूर्तता कम है ऐसा उत्पादन यदि हमने उत्पादित करने का निश्चय किया हो तो वह उत्पादन मार्केट में लाँचींग करते समय, ज्यादा स्पर्धा दिखाई नहीं देती।

 बाजार में उत्पादन बिक्री के लिए काऊंटर उपलब्ध करते समय ज्यादा दिक्कतें नहीं आती। और ग्राहक को जो चाहिए उसी, कंपनी का ब्रन्ड मार्केट में ना हो तो मालूम न होनेवाले नाम का ब्रन्ड ग्राहक उसी काऊंटर पर से पर्याय के रुप में चुनता हैं, कारण वह उसकी जरुरत होती हैं।

 जब उन में से न हो तो ग्राहक उससे मिलता-जुलता दूसरा ब्रन्ड समय पड़ने पर खरीद लेता हैं । इसलिए आप भी बाजार में बहुत माँग होनेवाले माल का उत्पादन करके बाजार में लाईए । आपको फलाना एक व्यवसाय पसंद है इसलिए आपके पसंद का ब्रन्ड अथवा उत्पादन बाजार में लेकर न आते हुए, बाजार की, ग्राहकों की माँग देखो। अध्ययन करो और वह उत्पादन उत्पादित करो।

 बिल्कुल ही आपको प्रतिसाद (सहयोग) मिलेगा नहीं ऐसा नहीं होगा। आपका उत्पादन बाजार में आने पर उसके प्रति ग्राहकों की प्रतिक्रिया, बदल, सूचना, इनकी ओर ध्यान दो । अध्ययन करो और आपके उत्पादन की उच्च गुणात्मकता कैसे लायेंगे इसके लिए सब दृष्टी से प्रयत्न करो ।

 गरमी के दिनों में जब मनुष्य प्यासा होता है, तब वह किसी शीतपेय(पानी) की दूकान में जाने के बाद उसे कुछ ठंडा पीना हो तो उसकी सर्वप्रथम माँग होती हैं- “थम्स अप की”- ‘थम्स अप दो ऐसी वह माँग करता हैं। ऐसा क्यों? थम्स अप यह नाम उसे आदत से परिचीत होता हैं। कोल्ड्रींक्स मतलब’ थम्स अप्। ऐसी उस ब्रन्ड की विश्वासार्हता और माँग बढ़ चुकी होती हैं ।

 छोटे बच्चों से लेकर बुढ़ों तक संसार के किसी भी मनुष्य को थम्स अप’ मतलब क्या? यह बताने की जरुरत नहीं हैं। इतनी उस ब्रन्ड की प्रसिद्धी हैं । पाँच-दस साल के पूर्व थंडा थम्स अप’ सिर्फ पाँच ही रुपये में मिलता था। उन्होंने अपनी ब्रेन्ड का बाजार में जाते वक्त बहुत विज्ञापन किया, ग्राहकों को आर्थिक दृष्टी से सस्ता लगे ऐसे योग्य कीमत में उत्पादन ग्राहकों तक पहुँचाया |

 ग्राहकों को जब कोल्ड्रींक्स मतलब थम्स अप ऐसी आदत लगी, तब उन्होंने धीरे-धीरे अपने ब्रेन्ड की कीमत बढ़ाना शुरु किया। आज प्यास बुझानेवाला यह उत्पादन लाखो- करोंडों की कमाई संसार के सभी देशों में कर रहा हैं।

कहने का तात्पर्य यह कि जब कोई ग्राहक कोल्ड्रींक्स पीने के लिए शीतपेयों के दुकान में जाता हैं तब उसने माँगा हुआ ब्रेन्ड उसे वहाँ नहीं मिलता तो वह वहाँ उपलब्ध होनेवाला अन्य कोई भी लोकल ब्रेन्ड लेता है और अपनी प्यास बुझाता हैं।

 प्यास से व्याकुल उस ग्राहक को उस वक्त अपनी प्यास बुझाना यह त्यावश्यक जरुरत होती है। ग्रामीण भाग में यातायात के अभाव से उन्हें समय पर माल पहुंचाना संभव नहीं होता वहाँ आज लोकल की बहुत-सी ब्रिव्हरीज कंपनियाँ अपना कोल्ड्रींक्स व्यवसाय बड़े जोर से करती हुई दिखाई देती हैं।

इसलिए जहाँ बाजार में जिस उत्पादन की माँग अधिक हैं लेकिन उसकी आपूर्ति कम हैं ऐसा उत्पादन ब्रेन्ड के रुप में उद्योग-व्यवसाय के लिए चुनना चाहिए।

 आप जो उत्पादन तैयार कनेवाले हैं उसके लिए लगनेवाली जोकच्ची सामग्री हैं वह संभवतः स्थानिक स्तर पर ही उपलब्ध होती है क्या यह देखिए अथवा हमें जो चाहिए वह कच्चे सामग्री की (माल की) बाजार आसपास कहाँ उपलब्ध हैं इसकी पूछताछ कीजिए ।कारण उत्पादन तैयार करने के लिए लगनेवाली शृंखला का वह महत्वपूर्ण भाग हैं।

 कच्ची सामग्री जितनी नजदीक के अंतर पर उपलब्ध होगी उतना आपका यातायात का खर्चा कम होगा और यातायात खर्चा यदि कम हुआ तो उत्पादीत माल का प्रॉडक्शन कॉस्ट मतलब उत्पादन मूल्य कम होगा। उत्पादन मूल्य जितना कम होगा उतना ही आपका उत्पादन, उत्पादीत माल आप कम-से-कम कीमत में बेच सकते हैं।

कच्चे माल से संबंधित जानकारी:

 हमें उद्योग की जगह चुनते समय भी संभवतः कच्चा माल जिस परिसर में अधिक उपलब्ध हैं उस परिसर की ही उत्पादन के लिए निश्चिती की तो कच्चा माल पाने के लिए हमें अधिक ढूँढ़ना नहीं पड़ता। कच्चा माल खरीदते वक्त उच्च प्रति का माल खरीद लो।

 कच्चे माल की खरेदी खुद ही करनी चाहिए। आप उत्पादन करनेवाले वस्तु के लिए लगनेवाला कच्चा माल अपने ही देश में पा सकते हैं। यदि कच्चा माल हमें न मिलता हो तो बाहर के दूसरे देशों से आयात करना पड़ता हैं। ऐसा माल आयात करने के लिए सरकारी परवाना धारक ‘डिस्ट्रीब्युटर्स’ सहायता करते हैं।

 भारत सरकार के लघु उद्योग विकास संघटना की ओर से हमारे देश में उपलब्ध न होनेवाला कच्चा माल हर राज्य के औद्योगिक संचलनालय को उपलब्ध करके दिया जाता हैं । जरुरी उद्योगों को ओर औद्योगिक प्रकल्पों को उनकी माँग के अनुसार उपलब्ध होनेवाला उनके कोष का ऐसा कच्चा माल राज्य औद्योगिक प्रकल्पों को जिन्हें बाहर से माल आयात करना संभव नहीं हैं ऐसों को मदद करता हैं।

अनेक खनन और धातु व्यापार महामंडल और राज्य व्यापार महामंडल इनकी ओर से भी हमें कुछ दुर्लभ कच्चा माल उपलब्ध हो सकता हैं। जिन उद्योग-धंधो की सरकार की ओर रजिस्ट्री हुई है ऐसे लघुउद्योजक परदेस से आयात होनेवाले कच्चे माल के लिए माँग का आवेदन कर सकते हैं ।

 लघु-उद्योग विकास महामंडल लघुउद्योजकों को बैंकों की ओर से कर्जा उपलब्ध होने के लिए लगनेवाला मार्गदर्शन करना, छोटे-छोटे काम लघुउद्योजकों को प्राप्त कर देने में सहायत्ता करता हैं। लघुउद्योग से निर्माण हुए उत्पादन को बाजार में स्थान प्राप्त करके देना, मशीनरी खरीदी के लिए सहायता करना ऐसे काम लघु-उद्योग विकास महामंडल करता हैं।

 लघुउद्योग विकास महामंडल की ओर हम कच्चा माल उपलब्ध करके देने के विषय में आवेदन कर सकते हैं। भारतीय स्थानिक बाजार में उपलब्ध होनेवाला कच्चा माल लघुउद्योजक उन्हें जितना चाहिए उतना खरीद सकते हैं। लेकीन भारतीय बाजार में उपलब्ध न होनेवाला और जिनकी आयात करनी पड़ती हैं वह कच्चा माल हमें लघुउद्योग विकास महामंडल की ओर आवेदन करके उपलब्ध करना पड़ता हैं।

 तांबा, पीतल, गनमेटल, लोहा, फौलाद, ऐसी प्राकृतिक खनिज-संपदा भारतीय बाजारों में अधिकतर उपलब्ध हैं । सरकार ने ऐसी दुर्लभ होनेवाली कच्ची- सामग्री पर नियंत्रण रहें, कच्चे माल की कीमतों पर नियंत्रण रहें, बड़े-बड़ें, कारखानदारो के साथ लघुउद्योजकों को भी ऐसा माल नियंत्रित (योग्य) कीमत में उपलब्ध हो इसलिए उसकी मर्यादा तय करके दी हैं।

 सरकार ने निश्चित करके दिए हुए कीमतों में मिलनेवाले कच्चे माल के लिए निम्मलिखित उद्योगों को फायदा होता हैं। जैसे-बरसाती पत्रे, एम्. एस्. प्लेट जॉईंट चैनल्स्, राऊंडस, ऐंगल्स, सफेद पत्रा, काला लोहे का पत्रा इनका इसमें समावेश होता हैं।

 बड़े उद्योजको से कच्चे माल की खरीदी करते वत्त लघुउद्योजको को स्पर्धा महसूस न हो इसलिए सरकार ने इन मालों की कीमतें नियंत्रित की हैं। स्थानिक उद्योग- अधिकारियों से मिलकर आवेदन करने के तरिखों की, शर्तो की और नियमों की जानकारी लेकर ऐसे आवेदन जिला उद्योग अधिकारी के पास देने होते हैं।

लघुउद्योग विकास मंडल की ओर मंजूर सामग्री का बँटवारा:

 हर विभाग के लिए माल की मर्यादा निश्चित करके दी जाती हैं। उद्योग अधिकारी की ओर से ऐसे आवेदन की पूरी पूछताछ होकर विभाग के लिए मंजूर निश्चित सामग्री के अनुसार माल-सामग्री मंजूर की जाती हैं। राज्य के कुछ शहरों में मंजूर सामग्री का बँटवारा उनके भांडारों की ओर से लघुउद्योग विकास मंडल की ओर से किया जाता हैं। आयात माल करनेवालों के तीन विभाग किए हैं।

1) आयात माल का प्रत्यक्ष उपयोग करनेवाला

2) प्रस्थापित आयातदार-कारखानदार

3) आयात माल से तैयार की वस्तुएँ निर्यात करनेवाला कारखानदार

आवेदन करते समय टैक्स वगैरा बातों का मार्गदर्शन अवशय लिजिए। कच्चे माल से उत्पादन निर्मिती करने की प्रक्रीया में मशीनरी यह महत्व पूर्ण भाग आता हैं।

 हर उद्योग के लिए एक विशिष्ट यंत्र लगता हैं। ऐसी यंत्रसामग्री ख्रीदते वक्त विशेष ध्यान देने की जरुरत हैं । यंत्रसामग्री उत्पादक और विक्रेते, वितरक इनके पुस्तक के अंत में दिए हैं। इसके साथ आप उत्पादन करनेवाले स्थान के आस-पास की मशीनरी, उत्पादक और वितरकों की जानकारी खुद जमा करनी पड़ेंगी।

 वेबसाइट में दिए हुए पते यह हमने जहाँ से संभव था उसी माध्यमों से एकत्रित किए हुए होने के कारण, निश्चित उसका उपयोग आपको होगा ही ऐसा नहीं।

कारण वेबसाइट में दिए हुए पतों की अपेक्षा हम हजार, दो हजार किलो मीटर पर उत्पादन करनेवाले हों और ऐसे दूर फासले के वितरक विक्रेताओं की ओर से मशीनरी के मेंन्टेनन्स की सेवा मिलेगी ही इसकी ग्यारंटी नहीं होती।

उत्पादन के लिए जल्दबाजी मे मशिन न ले:

आधुनिक तंत्रज्ञान के कारण हररोज नया-नया सुधार और बदली हुई मशिने बाजार में आ रही हैं। कल खरीदी हुई मशिनरी के तंत्रज्ञान की अपेक्षा नयी आवृत्ती (नई मशीन) बाजार में दिखने की संभावना होती हैं।

आज हमने एक मशीनरी खरीद ली और उसी कंपनी की उसी उत्पादन के लिए लगनेवाली सुधारीत आवृत्ती के रुप में दूसरी मशिनरी दूसरे दिन बाजार में आईं तो हमने पुराना मॉडेल क्यों, व्यर्थ खरीद लिया इसका पछतावा होता हैं।

मशिनरी जैसी चिजें, वाहन एक बार खरीद लिए और पसंद नहीं आयें इसलिए दूसरे दिन यदि आप उसे बेचने गए तो उसकी किमत कम होती हैं, यह बाजार की व्यावहारीक रीत हैं । यह हमेशा ध्यान में रखो । इसीलिए मशिनरी, इलेक्ट्रीकल, इलेक्ट्रॉनिक चिजें खरीदते वक्त अच्छी तरह से जाँच-पडताल कर लो।

 ऐसी मशिनरी खरीदते वक्त उसमें से तज्ञ (जानकार) व्यक्ति को साथ लिजिए। वह मशिनरी खरीदते वक्त उसमें जिन्हें ज्ञान हैं, वह मशिनरी उपयोग में जो लोग प्रशिक्षित हैं, जिन्हे उसके देखभाल की, मरम्मत की जानकारी हैं ऐसे तज्ञ (जानकार) प्रशिक्षित लोगों की सलाह से, मार्गदर्शन से उन्हें साथ लेकर ही मशीनरी और अन्य औजारें खरीद लों।

 मशीनरी खरीदते वक्त एक बार ही मशीनरी देखने जाने के बाद वहाँ गए, मशीनरी देखी, कंपनी के एक्झीक्युटीव्ह ने उस मशीनरी के संबंध में मधुर वाणी में (भाषामें) जानकारी दी इसलिए तुरंत ही ‘ऑन द स्पॉट’ मशीनरी मत खरीदों। उस मशीनरी की कंपनियो से स्पर्धा करनेवाली अन्य कौन-सी कंपनियों की उत्पादने बाजार में उपलब्ध हैं यह देखो। वहाँ व्हिजिट दो ।

 उस कंपनियों की मशीनरी विषय संबंध में जानकारी लो, कौन-सी कंपनी बिक्रीपश्चात सेवा अच्छे पद्धति से देती हैं इसकी जानकारी लो । कंपनी का वितरक, विक्रेता, प्रतिनिधी बताते हैं कि हम इतनी अच्छी सेवा देंगे, दे रहे हैं, फलानी इतनी योजनाएँ कार्यान्वीत कर रहे हैं, इतनी सेवा-सुविधाएं दे रहे हैं, यह उनके द्वारा बताई बातों पर विश्वास रखके मशीनरी खरीदी न करते हुए उस उत्पादन की बाजार की विश्वसनीयता देख लिजिए ।

 वे जो बता रहे हैं उस प्रकार की सेवा वे पिछले ग्राहकों को बिक्री पश्चात देते हैं क्या इसकी पुछताछ करो। ऐसी मशीनरी जैसे कंपनी ने बताया वैसे चलती हैं क्या, उत्पादन में कंपनी के कहने के मुताबिक उतने समय में उतना उत्पादन होता है क्या? यह देखो।

 मेंटेनन्स कितना हैं और उसपर होनेवाला खर्चा कितना हैं इसकी पुछताछ करके फिर ही मशीनरी खरीदो। आपके उत्पादन के लिए खरीद करनेवाली मशीनरी के स्पर्धक संभवतः सब अथवा कुछ कंपनियों के वितरकों से कोटेशन माँगे। कीमत में कितना फर्क हैं इसका अंदाज लो।

 सिर्फ कीमत कम है इसलिए कोई मशीन मत खरीदों अथवा फलाना किसी कंपनी का विज्ञापन बहुत चलता हैं, इसलिए एखादं मशीन की खरीद मत करो।

मशीनरी की कीमत, उनकी बिक्री पश्चात सेवा, उस मशीनरी से होनेवाला शारीरिक धोखा शारीरिक चोट पहुंचने का, मशीनरी के उपयोग से होनेवाला प्रदूषण, उनके उपयोग से आनेवाली उत्पादन की गुणात्मकता, मशीनरी के उपयोग से उनका कम होनेवाला जीवनमान, मशीनरी के उपयोग के लिए लेने पड़ रहे प्रशिक्षित मनुष्यबल का खर्चा इन सभी बातों का विचार मशीनरी खरीदी करते वक्त अवश्य किजीए ।

मशिन खरिदने के लिए अच्छे बैंक या संस्था से मदद ले:

 लघुउद्योग विकास महामंडल की सुशिक्षित बेरोजगारों के लिए कुछ योजनाएँ हैं । जिला उद्योग केन्द्र के कार्यालय की ओर से फिलहाल कार्यान्वीत होनेवाली ऐसी योजनाओं की जानकारी लिजिए । इसके साथ गिरवी देकर कर्ज देनेवाले स्थानिक स्तर की कुछ सहकारी बैंको से मशीनरी के लिए सुलभ किश्तों में कर्जा उपलब्ध करके दिया जाता हैं ।

 भाग-दौंड के, स्पर्धा के आधुनिक विश्व में आज सैकड़ों प्रायव्हेट बैंके, कर्जा देने के लिए तैयार है । वह उनका व्यवसाय ही हैं। परंतु जो बैंके हमें समय पर कर्जा देती हैं, जिनकी किश्ते और ब्याज अपने उद्योग व्यापार की दृष्टी से सुविधाजनक और सुलभ हैं ऐसे ही किसी बैंक से कर्जा लिजीए ।

 आपको लगनेवाली मशीनरी, सामग्री चाहिए तो लघुउद्योग औद्योगिक विकास महामंडल की बहुतसी योजनाएँ कार्यान्वीत हैं इनकी मदद लो । यंत्र – सामग्री, मशीनरी इनकी जानकारी देनेवाले अनेक विज्ञापन आज समाचार पत्र अथवा विविध माध्यमों में प्रकाशित होते हैं इनकी जानकारी लिजीए । मशीनरी कच्ची सामग्री इन विषयों पर जानकारी देनेवाली कुछ पुस्तकें प्रकाशित हैं ।

 इनमें से हाल ही में प्रकाशित हुई पुस्तकों की जानकारी लेकर वे पुस्तके खरीद लों। सिर्फ फोनपर बोलने की अपेक्षा प्रत्यक्ष जाकर मशीनरी मॉडेल देखकर प्रत्यक्ष में उसका उपयोग करके ‘ट्रायल’ भी देखकर आईंए । ‘महाराष्ट्र उद्योजकता विकास केंद्र’ इनका “उद्योजक’ नाम का एक मासिक हर महीने में प्रकाशित होता हैं, जिसमें कच्चा माल (सामग्री) मशीनरी के साथ ही सरकारी योजनाओं की जानकारी दी होती हैं ।

 कच्चा माल और मशीनरी उत्पादकों के विज्ञापन और जानकारी प्रकाशित हुई होती है। ऐसे नियतकालीकाओं में से, मासिकों में से, समाचारपत्रों से मशीनरी और कच्चे सामग्री (माल) की जानकारी इकट्ठा कीजिए।

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