आयनें निर्मिती का उद्योग (Mirror-Making Industry)

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घर से ऑफीस तक,गाड़ीसे कंपनी तक सर्वत्र उपयोग में आनेवालीआवश्यक वस्तु मतलब आईना हैं । सुबह उठकर फ्रेश होने पर काम पर जाने से पूर्व कम-से-कम एक बार तो आईने में खुद की प्रतिमा देखी जाती हैं।

 हम ठीक-ठाक हैं क्या, हम आज कैसे दिख रहे हैं, कैसे दिखना चाहिए , बाल ठीक हैं क्या, चेहरा कैसा दिखता हैं, इन सभी बातों के लिए हम आईने में देखते हैं। आईने में कभी भी देखा ही न हो ऐसा मनुष्य संसार में होगा क्या? गरीबों से लेकर अमिरों तक हर एक के घर में आईंना होता ही हैं।

 आज औद्योगिक उद्योगों में आईनों कि बहुत ही माँग हैं । सिर्फ अपनी परछाई देखना इसके लिए हमारे घर में आईंनो का उपयोग होता है। परंतु घर के बाहर आने पर देखो आईंनो का कहाँ-कहाँ उपयोग होता हैं। गाडी चलाते वक्त पीछे से आनेवाली गाड़ियाँ दिखें, दुर्घटनाएं टले इसके लिए हर गाडी मे आईना होना ही चाहिए ऐसा नियम हैं।

 फिर वह वाहन मोटरसाईकिलें हो, कार, गाडी, रिक्शा, ट्रॅक्टर, ट्रक, बस ऐसा किसी भी प्रकार का वाहन हो उसमे आईंना होना ही चाहिए और वेसे वह होता ही हैं। कारण वाहनधारकों की तो वह जरुरत होती हैं।

अनेक कंपनियां, बैंके, ऑफीसेस इनके इन आऊट दरवाजे आईंनो से बनाये जाते हैं। बड़ी-बड़ी बहुमंजिली इमारतों का बाह्यभाग दीवारों की अपेक्षा आईने जैसा पारा लगाये हुए काँचों से बनाया जाता है ।

 बड़ी-बड़ी इमारतें, कार्पोरेट ऑफीसेस, बैंको की कार्यालयीन इमारतें, सिनेमाघरों की दर्शनी बाजुएँ, इन्हें आईंनो की काँच लगाने की आजकल फैशन माना जाता है। आईनो का बहुत उपयोग होनेवाली दूसरी जगह मतलब केशकर्तनालय अथवा जेन्टस पार्लर और लेडीज ब्युटी पार्लर हैं।

 आईनों के बिना इनका व्यापार (व्यवसाय) हो ही नहीं सकता। अनेक लेडीज और जेंटस हेअर डेसर्स की दुकाने तो पूर्णत: आईनों से ही डेकोरेटेड की जाती है । होटल, कोल्ड्रीक्स हाऊस, उपहार गृहे, क्लब, शोरुम्स, कपड़ों की दुकाने इनके प्रवेशद्वार तो आईनों से बनाये जाते हैं।

 बड़ी-बड़ी ग्राहक भांडारे, मॉल्स. इनकी अंतवाद्य सजावट आईनों के कांचो से की जाती हैं। आईनं निर्मिती में काँच को पारे का आवरण चढ़ाना यह महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती हैं। काँच का पृष्ठभाग स्वच्छ करके उसपर पारा लगाया जाता हैं। रासायानिक द्रव्यों से ऐसी काँचो को स्वच्छ किया जाता है।

 चांदी का लेप देने के बाद उसपर ताँबे का लेप दिया जाता हैं । लगाये हुए पारे का लेप अधिक। दिन टिकें, इसलिए उसपर तांबे का लेप चढ़ाया जाता हैं । इस प्रक्रिया में से दोष दूर हो इसलिए लेप देते वक्त कुछ बार पानी भी छिडका जाता हैं।

 काँच के शीट को सेल्युलोज एनॅमल कलर लगाकर सुरक्षित करते हैं। काँच पर डिझाईन चाहिए तो काँच निर्मिती प्रक्रिया के दरमियान काँचपर वैसी डिझाईन उभरी जाती हैं ।

 काँच से आईने तैयार करना वैसा बड़ा प्रकल्प होनेसे सिर्फ किताबों में या वेबसाइट मे ही पढ़कर आपको काँचपर प्रक्रिया करके आईने तैयार करना नही आयेगा उसके लिए प्रत्यक्ष प्रशिक्षण और अनुभव की जरूरत है।

 किसी आईने निर्मिती कारखाने में प्रत्यक्ष काम करके वैसा अनुभव लेना पड़ेगा अथवा आईने निर्मिती उद्योग शुरु करने से पूर्व उस क्षेत्र के अनुभवी और कुशल मजदूरों की नियुक्ति करनी पड़ेगी।

 डिझाईन की और अलग-अलग क्वालिटी की काँच तैयार करने के लिए फॉर्मुले विशेषज्ञों से तैयार करके लेने पड़ते हैं । अथवा ऐसें विशेषज्ञ, कुशल- अनुभवी तज्ञ मजदूर लेने पड़ेंगे।

मार्केट :

आयना यह कभी ना कभी टूटनेवाली चीज हैं । इसी कारण आईंना टूटा तो  उस स्थानपर नया आईंना खरीदना ही पड़ता हैं । आईने बेचनेवाले होलसेल और रिटेल  व्यापारी हैं।

 इमारतों की सजावट के लिए भी आईनो का उपयोग होने से उस क्षेत्र के भी ऑर्डर प्राप्त करने का प्रयत्न कीजिए । घरेलु उपयोग के आईने दुकान में, गिफ्ट हाऊस  में,रास्ते पर भी मिलते हैं। बिक्रेताओ से मिलकर उन्हें माल बिक्री के लिए तैयार किजिए।

रॉ मटेरियल :

ऊँचे दर्जे की काँच, सेल्युलोज एनॅमल कलर्स, रसायनें, शेंदूर, वानिरश , पैकींग के लिए पुठों के बॉक्स, भुसा आदि कच्चे माल की आवश्यकता है।

मशीनरी :

काँचसाफ करने का मशीन, एअर कॉम्प्रेसर फील्टर, पानी की बड़ी टँकी काम काज का चार्ट ऐसे उत्पादन सामग्री का सेटअप (यंत्रसामग्री का ) जरूरी हैं।

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