आप नया ही उद्योग-व्यवसाय शुरु करने वाले हो तो व्यक्साय की शुरुवात करने से पहले मार्केट रिसर्च करना लाभदायक साबित होगा। मार्केट की कोई भी जानकारी न हो और व्यवसाय शुरु किया तो बहुत सी समस्याएं आती हैं।
जिस उदार से व्यवसाय शुरू किया है, वह उद्देश्य असफल होता है, और परिणामत नुकसान की संभावना होती हैं। उत्पादित सामग्री का ब्रांड बनाकर बाजार में लाने का कोई एक उद्योग-व्यवसाय शुरु करना हो तो कच्चा सामान, मशिनरी, जगह, साधन-सामग्री, मनुष्यबल, आर्थिक नियोजन इस सबकी पूर्व तैयारी करनी पड़ती है, वैसे ही बाजार का चुनाव करना पडता है ।
वैसे ही बाजार का गहरा अध्ययन करके मार्केट रिसर्च करना मतलब ही संक्षेप में बाजार का संशोधन करना यह भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। जिन चिजो के सामुग्री का उत्पादन करना है उस उत्पादन से स्पर्धा करने वाली कितनी उत्पादने बाजार में हैं इसका संशोधन करके सूक्ष्मता से अध्ययन और सेर्वे करना चाहिये हम उत्पादन करनेवाले उत्पादन जैसे अन्य प्रतियोगी उत्पादनों की कीमत, बाजार मूल्य बिक्री कीमत कितनी है, उनका पैकींग कैसा है, बिक्री की गति कितनी है इसका सुक्ष्मता से अध्ययन करना चाहिए।
उत्पादन करने के उत्पादित सामान-सामग्री की मार्केट कितनी बड़ी है, उसे कहाँ कहाँ से मार्केट, मांग है,हमारे उत्पादन के लिए फायदेमंद होंगे ऐसे कुछ व्यापारी बाजार में है क्या? मार्केटिंग और वितरण व्यवस्था लगाने के लिए कौन-कौन से वितरकों से संपर्क करना चाहिए इसकी जानकारी इकट्ठा करो।
हम जो उत्पादन लेने वाले है उस उत्पादन के लिए लगने वाली कच्ची सामग्री, रॉ-मटेरिअल कहाँ बड़े पैमाने पर (बडे मात्रा में) उपलब्ध है, प्रशिक्षित मजदूर सहजता से कहाँ मिलेंगे, इसकी जानकारी लेकर उत्पादन का स्थान, जगह चुनना होता है। इसलिए मार्केट रिसर्च करना बहुत जरुरी है। हमने चुना हुआ व्यापार-व्यवसाय हमें फायदा प्राप्त कर देने की निश्चितता होने के लिए उस उत्पादन को बाजार में लाते वक्त बाजार में हमें अच्छा अवसर मिलेगा क्या इसका अध्ययन और निश्चितता होनी जरुरी है।
सबसे पहले हम जो वस्तु, जो प्रॉडक्ट उत्पादित करनेवाले होते हैं वैसी कितनी कंपनियों की, कौन-कौन से ब्रान्ड की उत्पादने बाजार में है, वह देखो । ऐसी कुछ चिजें चाहिए तो खरीद लों। उसकी क्वॉलिटी, गुणात्मकता देखो । हमारे नियोजित चिजों को हम वैसी अथवा उससे भी अच्छी क्वॉलिटी दे सकते हैं क्या यह देखो।
बाजारों में होनेवाले स्पर्धक उत्पादनों की अपेक्षा अधिक गुणात्मकता की चिजें हम बाजार में लाये तो ही वे बिक्री की बढ़ोत्तरी में गति लेते है और अन्य स्पर्धक उत्पादनों की स्पर्धाका उसे एहसास नहीं होता यह ध्यान में ले लो। हमेशा उपयोग में आनेवाली वस्तुएँ अथवा खाद्यव्यंजन (पदार्थ) अथवा प्रक्रिया किए हुए अन्नपदार्थ ये हमारे उत्पादन का भाग हो तो उसके लिए उच्च दर्जे की गुणात्मकता आवश्यक होती हैं,क्युकी व पदार्थ व्यंजन परिचय की, आदत की हो चुकी होती हैं।
हमारा माल मार्केट में लाया और ग्राहकों को जैसा चाहिए वैसे अगर वह न हो तो स्पर्धा में कभी भी टिकेगा नहीं। कोई एक अन्न पदार्थ यदि हमने अपने उत्पादित प्रॉडक्ट के रुप में ब्रांड बनाकर बाजार में लाया और उसका जायका, उसकी क्वालिटी यह यदि अन्य उत्पादों जैसी ही हो तो ग्राहक उसे बहुत-सी पसंदी नहीं देंगे ।
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ग्राहक का ध्यान अपने नए ब्रांड की और कैसे आकर्षित करे ?
ग्राहक को पुराने ब्रांड का जायका और गुणात्मकता मालूम होता हैं। इसी कारण वह पुराना ही उसकी पसंदी का ब्रांड खरीद लेगा। जो चीजें, उत्पादन ग्राहक नाम के साथ रिटेलर्स के पास माँगता है वह उत्पादन मतलब ब्रांडेड उत्पादन ऐसी एक अलिखित परिभाषा ही है। उसने जिस ब्रांड का उत्पादन दुकानदार के पास माँगा यदि उसके पसंद का उत्पादन दुकानदार ने उसे न देते हुये यदि दूसरा ही उत्पादन उसे लेने के लिए आग्रह किया तो ग्राहक उससे अनुभव और गुणात्मकता मालूम न होनेवाला उत्पादन खरीदी नही करेगा ।
शायद विक्रेता पहचानवाला है इसलिए अथवा विक्रेता के आग्रह के खातिर वह एकबार वह चिजें खरीद कर लेगा भी, लेकिन उसकी साधारण गुणात्मकता उसके ध्यान में आने पर दूसरी बार खरीदी करते वक्त वह आपका ब्रांड लेने से इन्कार करेगा और उस वक्त विक्रेता भी उसे आग्रह नहीं कर सकता । परिणामतः विक्रेता के पास की बिक्री कम हुई तो आप की भी माँग कम होगी और आपका बिक्री उद्देश्य पूरा नही होगा ।
जबरदस्ती से किसी को चिजें देना, जो गुणात्मकता नहीं हैं वह दिखाने का प्रयत्न करने के बाद हम एक बार ग्राहक को वह वस्तु बेच सकते है, दूसरी बार नहीं। इसके लिए मार्केट की सभी स्पर्धकों के उत्पादनों का अध्ययन करके उनसे भी अधिक उच्च गुणात्मकता का उत्पादन तैयार करो।
आप जो उत्पादन निर्माण करेंगे उस उत्पादन के लिए मार्केट ढूँढो। अपने उत्पादन के लिए कौनसी मार्केट उचित है, वह नजदिक हैं या दूर है इसकी तलाश करो। हर नवउद्योजक को अवसर निर्माण करना पड़ता है। आप कुछ भी उत्पादन लेकर गए और बाजार में अपना स्थान पक्का किया हुआ व्यापारी वर्ग तुरंत ही बिक्री के लिए आपका उत्पादन दुकान में रखेगा ऐसी अपेक्षा मत करो, मार्केट रिसर्च, बाजारहट का अध्ययन न करते हुए हम अपनी इच्छा से उत्पादन लेकर सीधे बाजार में बिक्री के लिए, लेकर गए तो उसकी बिक्री होगी अथवा सभी व्यापारी वे बिक्री के लिए रखेंगे इस भ्रम में मत रहो।
मार्केट में अपना उत्पादन बेचने के लिए जाते वक्त इस प्रकार के उत्पादन बेचनेवाले एक दो दुकानों में बिक्री हुई तो चलेगा यह लक्ष्य रखके न जाते हुए, ऐसी उत्पादने बेचनेवाले हर काऊंटर पर अपना उत्पादन बिक्री के लिए उपलब्ध होगा इस नियोजन से ही वितरण प्रणाली का अवलंब करना पड़ेगा । उत्पादन के लिए सीमित मार्केट का अध्ययन न करते हुए रिटेल, होलसेल, डिस्ट्रीब्युशन ऐसी सभी वितरण प्रणाली की ओर अपना उत्पादन वितरण के लिए दीजिए।
उत्पादन की मांग कितनी है, मार्केट जहाँ है, वहाँ से अपने उत्पादन की जगह तक फासला कितना है और कितने समय में हम मांग के अनुसार आपूर्ति कर सकेंगे इसकी सुनियोजित प्रणाली तैयार करो। व्यापारी ने मांग की और उस समय यदि हमने आपूर्ति नहीं की तो एकबार व्यापारी हमारे लिए रुकता है। लेकिन ग्राहक कभी भी नहीं रुकता। ग्राहक ने जो चाहा वो सामान समय से नहीं मिला इस लिए ग्राहक ने दूसरा उत्पादन खरीद लिया | तो आपका एक ग्राहक कम हुआ ऐसा समझ लो ।
वह उत्पादन खरीद लेना उसकी अत्यावश्यक जरूरत होती है। इसी कारण उसने मांग करने पर भी व्यापारी ने यदि उसे मांग करने के साथ उसे जो चाहिए वह उत्पादन नहीं दिया तो वह ग्राहक उस उत्पादन से समानता रखनेवाला दूसरा उत्पादन खरीद लेता है। कारण उस वक्त वह खरीद लेना उसकी जरूरत होती है। इसलिए व्यापारी, काऊंटर रुकेगा लेकिन ग्राहक नहीं रुकता ।
“माऊथ पब्लिसिटी“/ग्राहकों के प्रति व्यापारी के सम्बन्ध कैसे होने चाहिए?
ग्राहक ने विकल्प के रुप में खरीदा हुआ दूसरा उत्पादन शायद उसे अच्छा ही लगेगा तो आपका एक ग्राहक हमेशा के लिए आपसे दूर जायेगा ही, परंतु उन ग्राहकों से ही उसने खरीद किए उत्पादन की “माऊथ पब्लिसिटी” होती है और हमारा और एक ग्राहक भी कम होने का डर रहता है। हमनें उत्पादित किया हुआ उत्पादन और ग्राहक इन दोनों के वितरण का माध्यम के रुप में बाजार का काम होता है। इसी कारण हमें ग्राहको तक पहुँचने के लिए बाजार का आधार लेना पड़ता है।
बाजार से और वहाँ के व्यापार व्यावसायीकों से हमने अच्छे संबंध प्रस्थापित किए तो ही ग्राहकों तक पहुँचना संभव होने से मार्केट से प्रेम के, विनम्रता के, सदाशीलता के संबंध निर्माण करने पड़ते हैं। हर व्यावसायिकों की सफलता और प्रगति के लिए उनके, बाजार से होनेवाले अच्छे संबंध कारण होते हैं।
सफल उद्योजक कैसे बने?
बाजार में अलग-अलग स्कीम्स, योजनाएँ लाना खुद के फायदे के साथ-साथ व्यावसायिकों का और बाजार का भी जिसमें फायदा है ऐसी बिक्री-वृद्धि योजना लाकर मार्केट को सदैव प्रोत्साहित रखना पड़ता है। उपलब्ध मार्केट से समाधान न मानते हुए रोज नई – नई मार्केट की खोज लेनी पड़ती है।
अपना कार्यक्षेत्र, बिक्रीक्षेत्र सदैव बढ़ाते रहना पड़ता है तो ही स्पर्धा में टिकने का और उत्पादन तथा बिक्री बढ़ने का मार्ग आसान होता है। मार्केट से पूर्णतः ईमानदारी के, विश्वास के और सौहर्दपुर्ण संबंध होने पड़ते हैं। ग्राहकों की क्या माँग है इसकी जानकारी उनसे लेनी पड़ती हैं और ग्राहकों की क्या माँग है इसकी सही जानकारी हमें बाजार से मिलती हैं।
स्पर्धक व्यावसायिकों के उत्पादन, उसकी गुणात्मकता, उसका पॅकींग, उसकी कीमत इनमें बदल करना पड़ता हैं। समस्या अथवा कोई दिक्कत नहीं आती ऐसा दुनिया में कोई भी व्यवसाय न होने से उद्योग-व्यवसाय में आने से पहले आनेवाली समस्याओं पर मात करने की कम-से- कम मानसिक तैयारी तो करके ही जाईंए । एक समस्या खत्म होते ही दूसरी समस्या सामने खड़ी होती है। समस्या से मार्ग निकालते हुए, उसपर मात करते हुए प्रगति करते जाना यही उद्योजक का काम होता है। इसी कारण ध्येयवादी उद्योजक कभी समस्या के कारण घबराते नहीं, असमंजस में पडते नहीं, तो समस्याओं से बाहर निकलने का हर प्रकार से प्रयत्न करते हैं। वही सफल उद्योजक बनता है।
नया ब्रांड बाजार में लाने से पहले कौन-कौन से तत्व ध्यान में रखने चाहिए?
अपना उत्पादन जिस काऊंटर पर बिक्री के लिए देनेवाले है उनसे अनावश्यक आश्वासन, झुठे प्रलोभन मत दो। आपको संभव होनेवाली ही और जिनकी पूर्ति करने के लिए आप सक्षम है ऐसी ही आश्वासने दो।
अपने उत्पादन का सुस्पष्ट उद्दीष्ट आपके सामने होगा तो आपके उत्पादन की गुणात्मकता बढ़ाने के लिए तज्ञों का मार्गदर्शन, सलाह आपको लेनी होगी परंतु अन्य उत्पादनों से कुछ अलग फॉर्म्युला इस्तेमाल करके अपने उत्पादन की गुणात्मकता बढ़ाइए। आपके उत्पादन का बाजार में स्थान निश्चित करने के लिए सब प्रकार के पूर्वनियोजन, आर्थिक नियोजन कीजिए। कारण आप एक बार अपना उत्पादन लेकर बाजार में प्रवेश करेंगे तो आपको इन सब नियोजनों के लिए वक्त मिलना मुश्किल है।
बाजार में आपका स्थान निश्चित करने के लिए, कच्ची सामग्री की आपूर्ति, मशीनरी, उनका मेंटेनन्स्, प्रशिक्षित मनुष्यबल, धन की उपलब्धता, विज्ञापनों का नियोजन माल का (सामान का) ग्राहकों के पास वितरीत करने का नियोजन इन सभी बातों का सामजस्य होना चाहिए। मार्केट का अध्ययन करते समय आपके उत्पादन के साथ जो पुराने स्पर्धक उत्पादक है उनके जैसा हमारे उत्पादन को बाजार में कैसा स्थान मिलेगा इसका हमें गहराई से अध्ययन करने के बाद ही हमें अपना ब्रान्ड बाजार में लाँच करना चाहिए।
अपने काम को बढावा देने के लिये प्रशिक्षित मनुष्य को चुने:
अन्य उत्पादनों की कीमतें क्या है? उनका पैकीग किस प्रकार का हैं? ऑर्डर करने के बाद व्यापारी से लेकर ग्राहकों तक वह उत्पादन पहुँचने से पहले वितरण प्रणाली में जो घटक होते है उनको कितना मार्जीन देते है यह देखो। गुणात्मकता बढ़ाने के लिए किस प्रकार का प्रशिक्षित मनुष्यबल चाहिए, वह उन्हें कहाँ से प्राप्त हुआ है, इसकी जानकारी लिजीए।
ऐसा प्रशिक्षित मनुष्यबल आपके पास होगा तो ही आपके उत्पादन को अच्छी गुणात्मकता प्राप्त होगी थोडा-बहुत मानधन, सुविधाएँ, सहुलियत और अच्छी व्यवस्था देकर आपकों प्रशिक्षित मनुष्यबल प्राप्त करना चाहिए। बाजार में (मार्केट में) आपका उत्पादन लाने से पहले व्यापारी, डिस्ट्रीब्युटर इनके साथ दोस्ती करो। आपकी खुद की भाषा मधुर, उत्साही और आनंदी होनी चाहिए। आपकी भाषाशैली से व्यापारीयों का मन जीत लिजीए।
अगर आपको संभव हो तो थोडा माल क्रेडीट पर दिजिए। वैसे ‘बील टु बील’ ही व्यापारियों की एक रीत है। अगर एक बील क्रेडीट दिया जाये तो अधिकांश व्यापारी आपका माल उनके काऊंटर पर रखने के लिए तैयार होते हैं। आपका आर्थिक नियोजन होगा तो ही आप आपका माल क्रेडीट पर दिजिए। कारण दिये गये माल का बील दूसरा माल देने के बाद प्राप्त होनेवाला होता हैं। कारण शुरु में उत्पादीत किया हुआ सभी माल यदि क्रेडीट पर दिया तो कच्ची सामग्री, मजदूरों का वेतन इसके लिए आपके पास बचे हुए धन का (भांडवल का) नियोजन होना चाहिए।
बाजार में आपके उत्पादन को स्थान प्राप्त करके देना आपके लिए आपको संभव न हो तो मार्केटींग एक्झीक्युटीव्हज, सेल्स मैनेजर ऐसे अनुभवी, तज्ञ लोगों की नियुक्ति करके उन्हें निश्चित टारगेट देकर, मानधन के साथ टार्गेट पूरा करनेवाले के लिए पारितोषिक, इन्सेटीव्हज, पदोन्नती दीजिए।
बाजार में अपने उत्पादन का स्थान निश्चित होने के लिए उत्पादन की गुणात्मकता निर्माण होने के लिए तज्ञ मनुष्यों की नियुक्ति करो। आज के स्पर्धा के युग में स्पर्धा यदि तीव्र हो तो उस स्पर्धा में से मार्ग निकालनेवालें तज्ञ लोग भी अच्छा मानधन देने पर मिलते हैं ऐसा सुयोग है । जो स्पर्धक उत्पादने बाजार में है उनसे थोड़ा अधिक मार्जिन सभी वितरण प्रणाली को दो। डिस्ट्रीब्युटर, ग्राहक, होलसेलर, रिटेलर उन्हें शुरु में अधिक ‘मार्जिन’ दिया तो ही वह नया उत्पादन काऊंटर पर स्विकारतें हैं, ऐसा अनुभव है। इसी कारण आप इन सबको थोड़ा-सा अधिक “मार्जिन” दो।
मार्केट में अपना स्थान निश्चित कैसे करे?
व्यवसाय के शुरु में, हम बाजार में स्थिर होने तक आपके, खुद के फायदे की तरफ ज्यादा ध्यान न देते हुए, मार्केट में अपना स्थान निश्चित करने की ओर ध्यान देना पड़ता हैं। आपको खुद को कुछ प्रतिशत कम प्रॉफीट मिला तो कोई हर्ज नहीं, लेकिन आपके वितरण प्रणाली में होनेवाले घटकों को अधिक मार्जिन दो । स्पर्धक उत्पादनों से थोड़ी कम कीमत, थोड़ा बाजारमूल्य कम करके आपका उत्पादन बाजार में लाओ।
बाजारमूल्य थोडा कम और अधिक गुणात्मकता हो तो आपका उत्पादन बाजार में लाँच करते समय अधिक समस्याएँ नहीं आएंगी और ग्राहक भी सहजता से मिलेगा। मार्केट रिसर्च मतलब बहुत बड़ा कुछ न होकर बाजार का निरीक्षण है। बहुत स्पर्धा होनेवाले एखादं उत्पादन से स्पर्धा होगी ऐसा उत्पादन आप उत्पादित करनेवाले हो तो बाजार का पूरा निरीक्षण, गहरा अध्ययन, मार्केट रिसर्च किए बिना उत्पादनों की शुरुवात मत करो।
मार्केट रिसर्च करके देनेवाली कुछ टीमें, कुछ इने-गिने लोग भी बाजारों में मिलते हैं । उनसे मार्केट रिसर्च करके उत्पादन की शुरुवात करने का साहस मत करो। आप खुद समय निकालकर बाजार का अध्ययन, बाजार की माँग, आपूर्ति, कच्चे साधन-सामुग्री से लेकर बिक्री तक का उत्पादीत खर्च और फिर उनका बाजारमूल्य इनका समन्वय होता हो तो ही स्वअध्ययन से, स्वनिरीक्षण से निर्णय लो । बाजार में बाजार का स्वनिरीक्षण करना मतलब ही “मार्केट रिसर्च’ है।