उद्योग-व्यापार, व्यवसाय कोई भी होने दो। परंतु उसके लिए लगनेवाले सभी कानूनो का पालन करो। स्थानिक स्वराज्य संस्था से लेकर राज्यशासन, केंद्रशासन ने उद्योग, व्यवसाय के लिए जो कानून निर्माण किए हैं उनका पालन करके, उनके नियमों का पालन करके, शर्तों की पूर्तता करके शासन ने जो मंजूरीपत्र बंधनकारक किए हैं वे मंजूरीपत्र लिजीए।
महानगरपालिका और नगरपालिका के क्षेत्र में व्यवसायों की शुरुवात करते वक्त 1948 का मुंबई दुकाने एवं संस्था कायदा के अनुसार लायसन लेना चाहिए । नमुना अ’ (नियम क्र. 5 के अनुसार ) जानकारी पत्रक कलम 7 (1) अन्वये मजदूर (कामगार) आयुक्त कार्यालय के ऑफीस की ओर शॉप अॅक्ट इन्सपेक्टर की ओर मंजूरी के लिए निश्चित नमूने में आवेदन पेश कीजिए ।
आवेदन की पुछताछ होकर, जगह का निरीक्षण किया जाता हैं । और मंजूरी दी जाती हैं। जिस जगह पर कम- से-कम 20 मजदूर है उस जगह पर फॅक्टरी अॅक्ट 1948 का कानून लागू होता हैं। कारखाना निरीक्षकों की ओर मंजूरी के लिए आवेदन करना पड़ता हैं। हर साल मंजूरीपत्र का नूतनीकरण करना पड़ता हैं ।
व्यवसाय कोई भी करो । परंतु राज्य शासन ने, केंद्र शासन ने उसके लिए लागू किए गए कानून के अनुसार उस व्यवसाय के लिए लगनेवाली मंजूरी, लायसन्स, दर्ज प्रमाणपत्र आदि मंजूरीपत्र लेकर ही व्यवसाय किजिए । तो ही वह व्यवसाय कानूनी ओर शासनमान्य समझाजाता हैं।
खाद्यपदार्थ और अन्न-प्रक्रीया उद्योगों के लिए अन्न और औषधि प्रशासन खाते की मंजूरी लिजीए । स्थानिक के और शासन के सभी टैक्सों की (करो की) समय समय पर पूर्तता कीजिए । इन्कमटैक्स, सेल्सटैक्स, सेंट्रल एक्साईज ड्युटी, जकात इन जैसे कर भरकर शासन के नियम और शर्तो का पालन कीजिए।
खुद का उद्योग-व्यवसाय “एक आदर्श उद्योग-व्यवसाय” के रुप मे निर्माण किजीए। कल नया उद्योग शुरु करनेवाले नव उद्योजकों को आपका उद्योग-व्यवसाय एक आदर्श उद्योग के रुप में देखने योग्य हो ।
तुरंत सफलता देनेवाले मार्गों का शार्टकट का उपयोग न करते हुए हम शुरु करनेवाले छोटे से व्यवसाय का बड़े वटवृक्ष में रुपातंर होकर उसका विस्तार बढ़े।आज अपने लिए कल अपनी भावी पीढ़ी के लिए उत्पन्न सदैव देगा ऐसा उद्योग शुरु करो।
हमने शासन को दिए हुए लगान (करों के) की रकम से महसूल के माध्यम से शासन हमें बिजली, पानी, रास्ते, आरोग्य, सुख- सुविधाएँ अनुदान, मोहलते, इन जैसी सुविधाएं उपलब्ध करके देता हैं ।
बिना इजाजत के कोई भी उद्योग उत्पादन उत्पादित करना, उसकी बिक्री करना यह यह कानूनी तौर पर गुनाह साबित होने के कारण व्यापारी हेतु से यदि आप कोई भी उत्पादन शुरु करनेवाले हो तो शासकीय मंजूरीपत्र अवश्य लिजीए । प्रक्रिया उद्योग के लिए लगनेवाला नियंत्रण मंडल का ‘नाहरकत प्रमाण-पत्र लिजिए ।
यदि कुछ महिलाएँ वगैरे एकत्र आकर यदि कोई सहकारी तत्व पर का उद्योग शुरु करनेवाले हो तो सहकारी खाते से (विभाग से) वैसा रजिस्टर-प्रमाणपत्र लिजिए। सामाजिक कल्याण की उद्देश्य से सामाजिक संस्थाएँ, सेवाभावी संस्थाएँ स्थापन करनी हो तो धर्मादाय आयुक्त कार्यालय की ओर उनके नियम और शर्तों के कागजपत्रो की पूर्तता करके रजिस्टर – प्रमाणपत्र’ लिजिए।
आपकी कल्पना के बलपर आपने कोई तंत्रज्ञान विकसित किया, कोई खोज लगाई, कोई यंत्र, वस्तु तैयार की तो उसे कानूनी तौर पर संरक्षण मिले। उसका कोई भी डुप्लीकेशन कोई ना करे इसके लिए भारत सरकारने कानूनी तौर पर ही ऐसे नवसंशोधकों को सरंक्षण देने का प्रयत्न किया हैं।
आपने खोजी हुई नई वस्तुएँ, यंत्रे, तंत्रज्ञान, खोजे इन्हें “रजिस्टर ऑफ पेटंटस्” पेटंट ऑफीस, 214, लोअर सर्कयुलर रोड, कोलकता – 27” इनकी ओर रजिस्टर करके अपनी खोज वस्तुएँ, तंत्रज्ञान के पेटेंट लेने पड़ते हैं। पेटंट कार्यालय से आपके खोज की पूरी पूछताछ, जाँच करके निश्चिती करके ही पेटंट आपके नाम पर दर्ज किया जाता हैं।
वैसे ही आपने उत्पादित किय हुए माल का कोई डुप्लीकेशन न करें, आपका पैकींग, आपके उत्पादन का नाम, आपका ब्रेन्ड “दि ट्रेड अँड मर्कटाईज मार्क्सस अॅक्ट 1958” इस कानून के अनुसार “ट्रेड मार्क” के रुप में रजिस्टर कर सकते हैं । ट्रेडमार्क के रुप में रजिस्टर कि हुी निशानी, चिन्ह दूसरे किसी के भी उपयोग में नहीं आ सकता । आपके उत्पादन को कानूनी सुरक्षितता मिले, इसलिए अपना ट्रेडमार्क जरुर रजिस्टर किजिए।