फैब्रिकेशन- उद्योग ( How to start fabrication business )

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लोहे की चिजों से दैनिक जीवन की आवश्यक होनेवाली चिजें बनाना, वेल्डींग के द्वारा लोहे की वस्तुएँ जोडना, टूटी हुई वस्तुएँ जोडना अथवा नई वस्तुएँ बनवाकर देना, वैसे ही औद्योगिक क्षेत्र में की वस्तुएँ-औजारें तैयार करना, खेतीके लिए लगनेवाली औजारे तैयार करना ऐसे काम फैब्रिकेशन उद्योग में किए जाते हैं।

भांडवल की (पैसे की) उपलब्धता हो तो ग्राहकों को जो चाहिए वह नई लोहे की चिजं तैयार करके बेचना, वह चीजें बडे होलसेल व्यापारियों को देना अथवा ग्राहकों को जो चाहिए वह चीजें उनकी ओर से कच्चा माल लेकर तैयार करके देना ऐसे दोनों भी प्रकार से यह व्यवसाय कर सकते हैं।

थोडी सी शारीरिक मेहनत की तैयारी हो तो देहातीं और शहरी भाग के नवजवानों को, बेरोजगार युवकों को, नवउद्योजकों को फैब्रिकेशन का व्यवसाय जिंदगीभर उत्पन्न प्राप्त करके देता हैं। कारण इस व्यवसाय में अनुभव से सीखी हुई कला आगे इस व्यवसाय में कुशल होने के साथ उत्पन्न देने के साथ नाम भी कमाकर देती हैं ।

बडी-बडी कंपनियाँ, कारखानें, औद्योगिक उद्योग, इन्हें हमेशा ही वेल्डींग की अथवा फैब्रिकेशन वर्क की जरूरत होती हैं। एखादं वेल्डिंग मशिन, ड्रिलींग मशिन, कटर और औजारें लेकर यह व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। व्यवसाय की शुरुवात करने के पूर्व आप खुद कम से कम सालभर एखादं फैब्रिकेशन वर्कस् में प्रत्यक्ष काम करके अनुभव लेना पडेगा।

इसके बाद एक-दो अकुशल मजदूर, हेल्पर लेकर व्यवसाय की शुरुवात करत सकते हैं। गाँव में, शहर में गाडीयों की, वाहनों की तोडफोड होने के बाद उनका जोडकाम करना, दैनिक जरूरत की चीजें बनावकर देना जैसे-अलमारियाँ, तिजोरियाँ, झूलें, कुर्सियाँ, खटियाँ आदि काम फैब्रिकेशन वर्क्स कारखाने में करके उत्पन्न प्राप्त कर सकते हैं।

कच्चा माल खुद लाकर तिजोरी, खटियाँ, कुर्सियाँ ऐसी चीजें बनवाकर उसपर खुद के ब्रँड का लेबलिंग (नाम लगाना) करके फैब्रिकेशन कारखानें के सामने ही खुद का दूकान डाल सकते हैं। अथवा ऐसा माल देनेवाले व्यापारियों को होलसेल भाव में (कीमत में) माल दे सकते हैं। फैब्रिकेशन व्यवसाय में ग्राहक ढूँढना नहीं पड़ता।

ग्राहकही हमें ढूँढता हुआ आता है। वेल्डींग के, फैब्रिकेशन के काम के मजदूरी के दर भी (कीमतें भी) अधिक होने से किए हुए काम का अच्छा मूल्य भी मिलता हैं । फैब्रिकेशन काम में गैस वेल्डींग और इलेक्ट्रीकल वेल्डिंग ऐसे वेल्डींग के दो प्रकार हैं। दो धातुओं के चीजों को जोड़ने के लिए इन वेल्डींग प्रकारों का उपयोग होता हैं।

स्टेनलेस स्टील, फौलाद, लोहा इन धातुओं को अच्छे प्रकार से वेल्डींग कर सकते हैं। दैनिक जीवन के धातुओंकी सामग्री के टूटने-फूटने के बाद बहुत बार उन्हें वेल्डींग करके फिरसे जोडा जाता हैं। व्यावसायिक कारण के लिए भी वेल्डींग का उपयोग होता हैं। बहुमंझिली इमारतें, बडे-बडे घर, बंगले बाँधते वक्त उनके दरवाजें, खिडकियाँ, ग्रील्स, कैंचियाँ, शटर आदि काम वेल्डींग के द्वारा फैब्रिकेशन उद्योजक करते हैं।

आर्क वेल्डींग का भी उपयोग चीजें जोडने के लिए, अथवा जोडकाम करने के लिए किया जाता हैं। फैब्रिकेशन का काम सीखने के लिए सरकारी अथवा निजी आयटीआय संस्था शीट मेटल का, वेल्डर का कोर्स सीखाती हैं। उनके पास एक साल का कोर्स कीजिए अथवा फैब्रिकेशन कारखानें मे कम-से-कम एक साल प्रत्यक्ष काम करके अनुभव लेकर व्यवसाय की शुरुवात कीजिए।

मार्केट :

स्थानिक की ही कंपनियाँ, कारखानें इनके फैब्रिकेशन के काम करके दे सकते हैं, उसके साथ ही स्थानिक के अथवा शहर में के व्यापारियों को तिजोरी, खाट, झूलें, अलमारीयाँ, कुर्सियाँ ऐसी लोहे की वस्तुएँ बनवाकर दे सकते हैं। गाँव के घरों की, बंगलों की ग्रील्स, खिडकियाँ, दरवाजे बनावाकर दे सकते हैं। दूकानों के शटर्स, लोहे की अलमारियाँ तैयार करके दे सकते हैं।

रॉ मटेरियल :

लोहे के पत्रों की शीटस, अँगल्स, वेल्डींग के रॉडस्, लोहे की पट्टियाँ, खिडकियों के ग्रील्स की डिझाईनें आदि कच्चा माल लगेगा।

मशिनरी :

वेल्डींग मशिन, ड्रिलींग मशिन, कटर, गैसे वेल्डींग, पक्कड, केबल, होल्डर, इलेक्ट्रो रॉडस, गैस कटर, नाप लेने के टेप, वेल्डींग के लिए लगनेवाली छोटी-बडी औजारें ऐसी मशिनरी लगेगी।

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