प्राकृतिक इंधनों से प्राचिन काल में पानी गरम किया जाता था। भारत यह खेतीप्रधान देश होने से देश की अधिकतर जनसंख्या यह गाँव में ही (देहात में ही) रहती भुसा ऐसे हैं। खेतीजन्य उत्पादनें मतलब लकडी, घास-पुस, गोबर, धान के पौधे, ईंधनों का उपयोग खाना बनाने के लिए और पानी गरम करने के लिए किया जाता था।
उसके बाद घासलेट के स्टोव्ह आ गए। परंतु आज घासलेट रेशन दूकानों से करीबन मिलता ही नहीं हैं, ऐसी स्थिति हैं। खुले बाजार से घासलेट खरीद लेना अत्यंत महँगा पडता है । इसी कारण स्टोव्ह पर पानी गरम करना भी पुरानी बात हो गयी हैं। आधुनिक काल में इंधन के रूप में सर्वाधिक उपयोग गॅस का हो रहा हैं।
शहरों में गैस का उपयोग करना इसके लिए दूसरा विकल्प उपलब्ध नहीं हैं। शहरों के घर सिमेंट-काँक्रीट से बनाये जाते हैं। यहाँ चुल्हा जलाना संभव ही नहीं होता। घर धुएँ से काली न हो जाए अथवा धुएँ से पास-पडोस के लोगों को तकलीफ न हो इसलिए धुएँ होनेवाले इंधन शहर में संभवत: कोई उपयोग में नहीं लाते। फ्लॅट और अपार्टमेंट संस्कृति मे सभी प्रकार की आधुनिक सुविधाएँ होती हैं। प्रदूषण हो ऐसा इंधन उपयोग में ही नहीं लाया जाता।
इसलिए गैस का सर्वाधिक उपयोग होता हैं। प्राकृतिक गैस के संचय मर्यादित होने के कारण वे कभी ना कभी खत्म होनेवाले होते हैं । माँग की अपेक्षा आपूर्ति कम होने से गैस का कालाबाजार होता हैं। बार-बार कमी महसूस होती हैं । सरकार घरैलु गैसपर अनुदान देता हैं। वह धीरे-धीरे कम हो रहा हैं। गैस उत्पादक कंपनियों का महँगाई के कारण उत्पादन खर्च बढने से हर चार छह महिने में गैस की कीमतें बढ़ रही हैं।
गैस का सिलेंडर खरीद लेना कुछ दिनों में सामान्य (आम) जनता के क्षमता के बाहर का हो जायेगा और उसके लिए कुछ तो पर्याय ढूँढ ना होगा। घरेलु गॅस का उपयोग कम हो, गैंस उपयोग में बचत हो इसलिए घर के लोगों को हररोज नहाने के लिए जो पानी गरम करना पड़ता है, वह पानी गरम करने के लिए इलेक्ट्रिक गिझर का उपयोग करना यह एक अच्छा पर्याय (विकल्प) है।
बिजली पर चलनेवाला यह उपकरण गैस की अपेक्षा कम खर्चे में घर के सभी लोगों को पानी गरम करके दे सकता हैं। बिजली की निर्मिती कर सकते हैं। परंतु गैस की निर्मिती कर सकते ही नहीं हैं। इसलिए आज और आज के बाद आनेवाले कल में पानी गरम करने के लिए गिझर का उपयोग करना आवश्यक ही होगा। आपको थर्मास मालूम ही हैं।
गिझर मतलब गरम पानी का थर्मास ही हैं। परिवार की जरूरत के अनुसार बीस से पचास लिटर तक का गिझर तैयार करके उसके बीचोंबीच हिटर बिठाया जाता हैं। गिझर में एक पाईप में से ठंडा पानी अंदर जाता हैं और दूसरी पाईप में से गरम पानी बाहर आता हैं। गिझर तैयार करना और उसका उपयोग करना ये दोनों भी काम कुशलता से करने पड़ते हैं।
कारण गिझर यह बिजली पर चलनेवाला उपकरण होने से वह तैयार करते वक्त अथवा असावधानी से, बेफिक्री से उपयोग करते वक्त मनुष्य के जान को धोका होने की संभावना होती हैं। प्रस्तुत उत्पादन तैयार करते वक्त आय.एस.आय. से प्रमाणित करके लेकर वैसा प्रमाणपत्र (योग्यतापत्र) लेकर ही उसका उत्पादन करना होता हैं।
इलेक्ट्रिक गिझर तैयार करने का पुरा काम अनुभवी और स्नातक इलेक्ट्रिक इंजिनियर की ओर से करके लीजिए। ऐसे ही कुशल लोगों की नियुक्ति उत्पादन विभाग में कीजिए। गिझर तैयार करने की प्रत्यक्ष कृति और फॉर्मुले हमें इलेक्ट्रिक इंजिनियर दे सकते हैं। उत्पादन प्रक्रिया शुरू होने से पूर्व ऐसे तज्ञ लोगोंकी नियुक्ति करके उनपर जिम्मेदारी सौंपिएँ।
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मार्केट :
हर घर को इलेक्ट्रिक गिझर की जरूरत होने से सभी विद्युत उपकरणे बेचनेवाले रिटेल और होलसेल दुकानोंमें से उत्पादन बिक्री के लिए रखिए। वैसे ही होटल्स, लॉजिंग, वसतिगृहें (छात्रालयें) अस्पताल्स, धर्मशालाएँ इन्हें गिझर की अत्यंत जरूरत होती हैं। इनके प्रमुखों से मिलकर उनकी जरूरत के अनुसार विशिष्ट साईज के गिझर तैयार करके दे सकते हैं। डोअर मार्केटिंग में भी अच्छी बिक्री होती हैं।
रॉ मटेरियल :
कॉपर-शिट पत्रा, एम.एस. शिट, हीटर नायक्रोम वाय, ग्लासवुल, वायलट कँप, बी.एस. पाईप, थर्मोस्टॅंट, वेटपाईप आदी कच्चा माल लगेगा।
मशिनरी :
रोलिंग मशिन, गॅस वेल्डिंग मशिन, स्पिनींग लेथ मशिन, स्प्रे- पेंटींग पंप, बिजली का दाब दिखनेवाला मीटर आदि मशिनरी के साथ इलेक्ट्रिक उपकरणे और औजारे लगेंगे।