पेन्सिल और खडियाँ चॉक्स निर्मिती उद्योग (How To Setup Pencil \Choke Industry?)

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प्राथमिक स्कूलों में बच्चों की शिक्षा शुरु होने पर सर्वप्रथम उसे स्लेट और पेन्सिल दी जाती हैं।

 पेन्सिल और खडियाँ (चॉक्स) कि जरुरत कहा होती है?

 शिक्षा की शुरुवात सही अर्थ में पेन्सिल घूमाने से शुरु होती हैं, तो स्कूल से लेकर महविद्यालयों तक और कोचिंग क्लासेस को भी पढ़ाने के लिए शिक्षकों को और विद्यार्थियों को भी फलक पर और ब्लैकबोर्ड पर लिखने के लिए चॉक्स की जरुरत होती है।

  पेंसिल और चॉक्स निर्मिती उद्योग को बाजार में तेजी-मंदी का कभी भी फर्क नहीं पड़ता। कारण वह अत्यंत आवश्यक चीज हैं। पहली से लकर चौथी कक्षा तक की शिक्षा आज भी अनेक स्कूलों में स्लेट पेंसिल से होती हैं।

पेंसिल का उपयोग बदलते काल के अनुसार कम हुआ हो तो भी चॉक्स को सर्वत्र माँग हैं और वह रहेगी। माध्यमिक स्कूलों में के विद्यार्थी, महाविद्यालयीन विद्यार्थी स्लेट पेंसिल का उपयोग गणित और थेअरीज हल करने के लिए आज भी करते हैं ।

 पेंसिल और चॉक्स बनाने की कृति भी अत्यंत आसान होने से घरेलु उद्योग के रुप में भी आप इस व्यवसाय की शुरुवात खुद के रोजगार के साथ ही परिवार को रोजगार निर्मिती करके देने के लिए कर सकते हैं।

पेन्सिल और चॉक्स को बनाने कि प्रक्रिया :

चायना क्ले की मिट्टी बारीक करके उसका चूर्ण (पावडर) किया जाता हैं। चायना क्ले के चूर्ण में जरुरत के अनुसार पानी डालकर उसकी लुगदा तैयार किया जाता हैं। गरम पानी में फॉर्मुले के अनुसार गोंद डालकर गोंद का पानी और लुगदा इनका मिश्रण कीजिए ।

तैयार हुआ लुगदा जमीन पर धुपाटनेसें से (एक विशीष्ट सपाट चीज से) नरम होनेतक उसपर उसका प्रहार करें । रबर शीट के अनुसार उसकी शीट तैयार होने के बाद लुगदा का गोला फीटर में डालकर हँड मोल्डींग यंत्र की हँड से धीरे-धीरे घुमाइएँ।

थोड़ी-सी गीली हुई पेन्सीलें साँचे के दूसरे बाजू में भात का अथवा लकड़ी का भूसा डाले हुए छोटे बॉक्स में भरकर बाजार में भेज दीजिए । पेंसिलें तैयार करने के फॉर्मुलों की अपेक्षा चॉक्स के लिए थोड़ा-सा अलग फॉर्मुला आता है। परंतु माल तैयार करने की प्रक्रिया करीबन समान होती हैं।

पानी और प्लॅस्टर ऑफ पॅरीस तथा प्रेसिपिटेड चॉक इनका मिश्रण टूथ पेस्ट के समान सफेद शुभ्र होनेतक घुलमिलाईएँ । चॉक अधिक सफेद दिखाई दें इसके लिए उसके मिश्रण में जरुरत के अनुसार थोड़ी-सी नील डालें । तैयार हुई पेस्ट चॉक्स के साँचे में डाल दें । साँचे में मिश्रण डालते वक्त सभी मिश्रण सर्वत्र समान फैलेगा इसकी खबरदारी लीजिए ।

तीस से पचास मिनटों में साँचे खोलिए चॉक्स तैयार हुई दिखाई देगी । तैयार हुई खड़ी थोड़ी-सी भीगी हो तो वह एक दिन सूर्यप्रकाश में सूखाकर भूसा अथवा कोंडा (लकड़ी का खुराद) डाले हुए बॉक्स में भरें । रंगीन चॉक्स तैयार करते हुए पेस्ट में जो चाहिए वह रंग  लाइए।

मार्केट मे माल कैसे बेचे?

 पेंसिल हर घर के विद्यार्थी को जरुरी होने से तैयार पेंसिल के बॉक्स डायरेक्ट डोअर मार्केटींग करके बेचे तो अधिक नफा मिलता हैं । उत्पादन छोटे हो तो खुद ही मार्केटींग करके माल की बिक्री कर सकते हैं।

पेंसिल और चॉक्स निर्मिती उद्योगों में बहुत — सी स्पर्धा न होने के कारण मार्केटींग का टेन्शन रहता नहीं। स्टेशनरी दूकानें, किराणा दूकाने, पनवाड़ी की टपरीयों पर चॉक्स और पेंसिलें बेची जाती हैं।

यहाँ विद्यार्थियों के दैनिक ग्राहक होते हैं। हार्डवेअर दुकान में भी(गवंडी), प्लंबर इन्हें मार्कीग करने पेंसिलें बिक्री के लिए रखी जाती हैं।

होलसेल व्यापारी, रिटेल दुकानदार, स्कूल, महाविद्यालये, क्लासेस इन स्थानों पर जाकर उन्हें जो चाहिए उन मालों की ऑर्डर लेकर माल तैयार करके दे सकते हैं। इसी कारण आपका तैयार माल खाली पड़कर (बिना बेचे हुए) नहीं रहेगा।

उत्पादन के लिये क्या क्या रॉ मटेरियल चाहिये?

 चायना क्ले, प्लॅस्टर ऑफ पॅरिस अथवा जिप्सम पत्थर, गोंद, सोडियम, सिलिकेट, शंखजीरा, पुठ्ठोंके बॉक्स, चॉक्स के लिए रंग, ग्रॅफाईड पावडर वॉर्निश, सॉफ्टवुड, टॅली आदि कच्चे माल की आवश्यकता हैं।

पेन्सिल और चॉक्स को बनाने के लिये किन मशीनरी कि आवश्यकता पडती है?

 मिक्सींग मशीन, मूव्हींग अँडराऊंडिंग मशीन, फिल्टर प्रेस, ग्लुइंग मशीन, हायड्रोलिक प्रेस, मिक्सर ऐसी यंत्र सामग्री और पुट्ठों का छोटा बॉक्स, पैकींग के लिए भुसा ट्रे ऐसा साहित्य लगेगा।

FAQ

Q.1  इस व्यवसाय को करने के लिये कितने रुपए कि लागत लग सकती है?

इस व्यवसाय को करने के लिये कम से कम 2 से 3 लाँख रुपये तक कि लागत आ सकती है।

Q.2 क्या इस व्यवसाय को हम अपने घर से शुरू कर सकते हैं?

जी हां, इस व्यवसाय को हम अपने घर से शुरू कर सकते हैं क्युकि इस व्यवसाय को हम छोटे पेमाने से शुरु कर सकते है ।

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