कम भांडवल में निश्चित रुप में नफा देनेवाला उद्योग ढूंढ रहे हो तो स्याही तैयार करने का उद्योग एक अच्छा विकल्प हैं। कम भांडवल में अच्छा उत्पन्न देनेवाला और उत्पादीत माल को बारहों महिने माँग होनेवाला व्यवसाय होने से नया व्यवसाय शुरु करने की इच्छा होनेवाले नवउद्योजक को स्याही उद्योग शुरु करने के लिए प्राधान्य दीजिए ।
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स्याही कि जरुरते कहा–कहा पडती है?
रोजाना जीवन की सभी व्यावहारिक लिखित कार्य होने के लिए स्याही की जरुरत होती हैं। बच्चों को स्कूल में लिखने के काम से लेकर सरकारी और नीजी कार्यालयों में मुहर लगाने के काम तक स्याही की जरुरत होती हैं।
स्याही का पेन होने दे अथवा बॉलपेन होने दे उसके लिए स्याही चाहिए। मुहर लगाने के लिए, स्टॅप लगाने के लिए, अँगुठे का निशान लगाने के लिए विविध प्रकार की, अलग-अलग-रंगों की स्याही का उपयोग कियाजाता हैं।
स्याही के विविध प्रकार हैं। बॉलपेन कीस्याही, ठप्पा लगाने के लिए लगनेवाली स्टँप शाही, रिफल की स्याही, काली शाही, लाल(रेड)स्याही, पेटींग काम में उपयोग में आनेवाली काली निली, लाल स्याही ऐसे स्याही के अनेक प्रकार हैं।
स्याही का उत्पादन करना भी आसान हैं और बिक्री की कीमतें भी कम हैं। बिक्री कीमत कम हो तो भी बारह महीने नियमित ग्राहक भी उपलब्ध हैं। बड़े प्रमाण में उत्पादन करने का उद्देश्य हो तो प्रिटींग प्रेस को लगने वाली स्याही का उत्पादन करके वह स्याही दे सकते हैं।
स्याही के आधुनिक प्रकार :
फिलहाल स्याही के कुछ आधुनिक प्रकार भीआयें हैं और उनकी माँग भी अच्छी हैं। जैसे-स्वयं प्रकाशित चमकनेवाली स्याही, लाखी की स्याही, गोल्डन स्याही, सेंटेड स्याही आदि प्रकार हैं।
स्याही बनाने के लिये फॉर्मुले :
जिस प्रकार की स्याही उत्पादन करनी हैं, उसका फॉर्मुला बनवाकर लिजीए। हर प्रकार के लिए एक अलग फॉर्मुला होगा। स्याही बनाने के लिए लगनेवाले कच्चे माल का व्यापारी, वितरक, मशीनरी उत्पादक कंपनियाँ स्याही बनवाने का प्राथमिक ज्ञान देती हैं।
परंतु उच्च दर्जे की स्याही तैयार करने का फॉर्मुला हमें तज्ञ लोग बनवाकर देंगे। उत्पादन का विस्तार बड़ा हो तो ऐसे कुशल तज्ञ मजदूर लीजिए । गृहोउद्योग के रुप में छोटे, प्रमाण में उत्पादन करनेवाले हो तो स्याही बनाने के फॉर्मुलें अनुभव से खुद सिखीए ।
स्याही तैयार करना यह रासायनिक उद्योग होने से रासायनिक पदार्थो से तैयार किया हुआ उत्पादन होने से इसका प्रशिक्षण लेकर, प्रत्यक्ष एखादं उत्पादन शुरु होनेवाले स्थान पर जाकर, अच्छी तरह से देखकर अध्ययनपूर्वक अनुभव से उत्पादन की शुरुवात कीजिए।
मार्केट मे माल कैसे बेचे?
स्याही बिक्री करने की ऐसी खास दुकानें नहीं होती, परंतु सबसे अधिक उपयोग शालेय और महाविद्यालयीन विद्यार्थियों को होने के कारण स्कूल, कॉलेज के आसपास के स्टेशनरी दुकानों में से आप स्याही बेच सकते हैं।
स्टेशनरी दुकानों को स्याही के पेन के लिए लगनेवाली स्याही आधा लीटर, एक लीटर ऐसे पैकींग में प्लास्टिक के पारदर्शक बोतलों में से दे सकते हैं ।
स्टेशनरी दुकानों के साथ ही किराणा दुकानें, पान की दुकाने, कटलरी दुकानें यहाँ लिक्वीड स्याही आप सौ मिली से लेकर एकलीटर तक विविध पैकींग में माँग के अनुसार दे सकते हैं।
स्याही बनाने के लिये रॉ मटेरियल :
डिस्टील वॉटर, खनिज तेल, नायग्रासीन, औलिक आम्ल, टार्टारिक अॅसीड, ऑक्झालिक ॲसिड, कार्बोलिक अॅसीड, टॅनीक अॅसीड, सलफ्युरिक अॅसिड, कम दर्जे का हॅड्रोलीक अॅसीड, गॅलीक अॅसीड, सल्फेट और फेरस सल्फेट, घुल-मिल जानेवाला नीला, काला, लाल, हरा रंग, अरेबिक पावडर, ग्लिसरीन, अॅसिटोन मिथाईल वॉयलेट, विक्टोरिया ब्लु, स्याहीभरने की बोतलें, बर्तन आदिकच्चे माल की आवश्यकता होती हैं।
स्याही बनाने के लिये मशीनरी:
इंक फिलींग मशीन, नोजिल फीटींग मशीन, पंचींग मशीन, सेंट्रीफ्युज मशीन, हॉट स्टंपिंग मशीन, मिक्सर, वेईंग मशीन, रासायनिक उपकरने आदि मशीनरी लगेगी।
FAQ
Q.1 क्या इस व्यवसाय को करने के लिये कानूनी मंजूरी लेनी जरूरी है ?
जी हां, रासायनिक उद्योग होने से कानूनी सभी मंजूरियों की पूर्तता करके ही
उद्योग की शुरुवात करनी चाहिए।
Q.2 इस व्यवसाय को करने के लिये कितनी लागत लगेगी ?
इस व्यवसाय को करने के लिये कम से कम 4 से 5 लाँख रुपए चाहिये होते है।