टाईल्स (फर्श) निर्मिती उद्योग ( How to setup Floor-Tiles business )

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घरबाँधना के काम में आवश्यक होनेवाली फर्श (टाईल्स) आज हर छोटे-बडे बाँधकाम होनेवाली इमारत में उपयोग में लायी जाती हैं। ग्रामीण और शहरी भाग में रहने के लिए बाँधे जानेवाले घरों के साथ कमर्शियल कॉम्प्लेक्स, अपार्टमेंटस्, गगनचुंबी इमारतें, होटेल्स, शॉपिंग मॉल्स, शोरूम, दुकानें, स्मारकें, मंदिर, मसजिद, चर्च इनके लिए आधुनिक पद्धतियों के टाईल्स, फर्श इनको अच्छी माँग हैं।

प्राचिन काल से भारत में घरबाँधनी के काम में और ईमारतों के सजावट के लिए फर्शों का उपयोग किया जाता हैं। संगेमरमर, ग्रेनाईट, मार्बलस्, शहाबादी, सॅण्ड स्टोन ऐसी प्राकृतिक खानों से निकाली हुई फर्शों का उपयोग आज भी होता हैं। प्राकृतिक पत्थरों को घिसकर पॉलिश करके माँग के अनुसार उन्हें आकार दे कर खदानों से पत्थरों के प्रस्तरों से ऐसी फर्शे कटर की सहायता से कटींग करके निकाली जाती थी।

खदान से निकाली गई फर्शों को उच्च दर्जे का पॉलिश करके चमक लाई जाती हैं। प्राकृतिक रंगों में ऐसी फर्शे आज भी उपलब्ध हैं। संगेमरमर के फर्श से बनाया हुआ जगप्रसिद्ध ताजमहल हम सबको मालूम ही हैं। खदान से पत्थर निकालकर उसपर प्रक्रिया करके जहाँ माँग है

वहाँ उसे देना यातायात की दृष्टि से आज थोडा महँगा और खर्चिक हुआ हैं। ऐसी मार्बल्स की खदानें भारत में मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, ओरिसा, उत्तर प्रदेश में हैं।’ आधुनिकीकरण के जमाने में ऐसे फर्शों की माँग वैसे बहुत सी कम नहीं हुई हो तो कृत्रीम रीतिसे तैयार किए गए पार्टेक्स, मार्गोनाईट जैसे मार्बल्स् फर्शों को आज बहुत माँग हैं। कारण यह फर्शे एक तो दिखने में अत्यंत आकर्षक, नमुनेदार, चमकीली और चाहे जो उस डिझाइन में मिलती हैं।

अत्यंत आकर्षक ऐसी रंगसंगती और सुंदर नक्काशी काम इसके कारण सामान्य ग्राहकों से उच्चवर्गीय ग्राहकों तक आज सभी ही इन फर्शों को पसंदी देते हैं। छोटी-बडी जो चाहिए उस आकार में अपनी माँग के अनुसार यह फर्शे ऑर्डर देकर भी तैयार करने आती हैं। आकार और वजन के अनुसार पाँच से दस फर्शों का मजबूत और टिकनेवाले बॉक्स में पैकिंग करके यह फर्शे बेचने के लिए जाती हैं। ऊँची-ऊँची इमारतों में ऐसी फर्शे बिठाते वक्त, उसकी यातायात करते वक्त सुविधाजनक होता हैं और पारंपरिक मार्बल्स, संगेमरमर अथवा ग्रेनाईट फर्शों की में ये फर्शे वजन में हलकी होने से गगनचुंबी इमारतें खडी करते वक्त आज इंजिनियर लोग इन फर्शो को पसंदी देते हैं।

बडे प्रमाण में माँग होनेवाले माल का उत्पादन करने की आर्थिक क्षमता, जगह का नियोजन करके यह उद्योग शुरू कीजिए। उद्योग शुरू करने के पूर्व उसका शास्त्रशुद्ध प्रशिक्षण लेना पडेगा। जगह, पानी, बिजली और प्रशिक्षित मजदूर वगैरों की जरूरत होने से इन सबका नियाजेन किए बिना यह उद्योग शुरू करना संभव नहीं होता। इसके लिए टाईल्स फर्श उत्पादन करनेवाले छोटे- बड़े ऐसे पाँच से दस प्रकल्पों को आपको प्रत्यक्ष भेंट देकर देखना पडेगा।

अपारंपरिक ऐसा यह उद्योग होने से उसके लिए लगनेवाला कच्चा माल और मशिनरी साहित्य- सामग्री, औजारें इन सबको इकठ्ठा करना पडेगा। इस व्यवसाय के लिए लगनेवाला बहुत-सा कच्चा माल और साहित्य-साधने, सामग्री दूसरे देशों से मिलने के कारण उनका पूर्व नियोजन कीजिए।

मार्केट :

आपूर्ति की अपेक्षा माँग अधिक होने से इस व्यवसाय के लिए ग्राहकों को ढूँढना नहीं पडता। तज्ञों से उच्च दर्जे का फॉर्मुला तैयार करके लेकर उत्पादन तैयार किया तो उत्पादन के पहले ही ऑर्डर बुकिंग हुए होंगे। मार्गोनाइट और पार्टेक्स इन दो प्रकारों को फिलहाल बाजार में बहुत माँग हैं। फर्श बेचने वाले होलसेल व्यापारी हैं। उन्हे हम माँग होनेवाले डिझाइन की फर्श दे सकते हैं। ग्रामिण और शहरी भागों में इंजिनियर, कॉन्ट्रॅक्टर, बिल्डर्स, मेमार (राज) उन्हें माल दे सकते हैं। इसके साथ ही बाँधकाम का सामान बेचनेवाले दूकानों को फर्श दे सकते हैं।

रॉ मटेरियल:

क्वार्टज रेली (बालु), जेलाकोटरे जिन, रंगपिगमेंट, पेस्ट, हार्डनर, पॉलिस्टर रेजीन, एसीलेटर, क्लीनिंगतरल, मार्बल पावडर आदि कच्चा माल लगेगा।

मशिनरी :

कॉम्प्रेसर, एअरप्रेशर टंकी, स्टील रोलर, फिलर, मिक्सर, रेजिन काँक्रीट, कास्टिंग मशिन, सॉलव्हन्ट रिसायकलर मोल्डस, व्हायब्रेटर आदि मशिनरी लगेगी।

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