खाद्यतेल निर्मिती उद्योग ( How to setup Edible oil business )

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अनाज के मामले में आज भारत देश स्वयंपूर्ण हैं। यदि भारत की जनसंख्या बहुत हैं। तो भी आज भी सत्तर प्रतिशत जनसंख्या गाँव में ही रहती हैं। खेती और खेतीपूरक उद्योग-व्यवसाय करती हैं। पारंपरिक पद्धति से तेल कोल्हू द्वारा खाद्यतेल का उत्पादन लिया जाता था ।

परंतु आज सरस, सोयाबीन, रुई, मुँगफली बीजों से जो तेल निकाला जाता हैं वह डबल फिल्टर करके बाजार में ही लाया जाता हैं। भारत में, दुनिया में सबसे अधिक जमीन तेलबीजों के उत्पादन के क्षेत्र में आती हैं।

भारत के सभी ही समाज के लोगों के हररोज के आहार में तेल का बहुत उपयोग किया जाता हैं। अधिकतर लोग सरस के तेल का उपयोग खाने में करते हैं। उसके बाद सोयाबीन तेल का उपयोग होता हैं । कच्चा सोयाबीन का तेल खाने के लिए हानिकारक होने से उसे फिल्टर करके शुद्ध करने के बाद खाने के लिए इस तेल का उपयागे किया जाता हैं।

खाने के लिए सोयाबीन के तेल के साथ ही वनस्पती घी के लिए सोयाबीन तेल का उपयोग किया जाता है। रिफाईंड तेल को बाजार में सर्वाधिक माँग है। सोयाबीन तेल, सरकी का तेल, मूँगफली के तेल के साथ ही दक्षिण भारत मे खोबरेल तेल का उपयोग खाने में किया जाता हैं।

खाद्यतेल निर्मिती में कितना बडा प्रकल्प शुरू करने का इसकी क्षमता पर उसका कच्चा माल, मशिनरी और खर्च की मर्यादा तय होती हैं। पारंपरिक तेल कोल्हू सिर्फ गाँव में ही होते हैं। परंतु रिफाईन्ड तेल सेहत की दृष्टि से अच्छा होने से बाजार में उसे बहुत माँग होती हैं। खाद्यतेल निर्मिती प्रकल्प में तेल बीजों से अधिक से अधिक तेल निकाला जाता हैं और शुद्धीकरण प्रकल्प में उसमें से गोंद, प्रोटीनयुक्त पदार्थ, म्युसिलेज ऐसे अपायकारक पदार्थ तेल शुद्धीकरण प्रक्रियाद्वारा अलग करके शुद्ध रिफाईंड तेल की निर्मिती की जाती हैं।

सभी प्रकार के खाद्यतेलों पर शुद्धीकरण की प्रक्रिया करके उसमें से तेल और पानी अलग किया जाता हैं। इस प्रक्रिया में तेल एक टंकी में कुछ दिन रखा जाता हैं। तेल पानी से हलका होने से इस प्रक्रिया में तेल ऊपर और पानी तथा कचरा टंकी के तल में रहता हैं। यह सीधी-आसान प्रक्रिया है।

इसमें समय बचे इसलिए आज तेल शुद्धीकरण के लिए फिल्टर का उपयोग किया जाता हैं। तेल उत्पादन, शुद्धीकरण प्रकल्प शुरू करने के पूर्व उसका शास्त्रशुद्ध प्रशिक्षण लेना आवश्यक है। पुस्तक के आधार पर ऐसे प्रकल्प शुरू न करें । खादी ग्रामोद्योग मंडल की ओर से खाद्यतेल निर्मिती प्रकल्प शुरू करनेवाले नवउद्योजकों को प्रोत्साहन और प्रशिक्षण दिया जाता हैं।

मंडल की ओर से इस उद्योग के लिए कर्ज रूप से अर्थसहायता दी जाती हैं।

मार्केट :

देश का हर मनुष्य उसके दैनिक आहार में तेल का उपयोग करने से पूरी जनसंख्या ही अपना ग्राहक हैं। परंतु खाद्यतेल उद्योगों के बहुत से ब्रँड हमें बाजार में दिखाई देते हैं। उद्योग-व्यवसाय की स्पर्धा यदि तीव्र हो तो ग्राहक की भी कमी नहीं हैं। खाद्यतेल के होलसेल व्यापारी, स्टॉकिस्ट इन्हें उनकी माँग के अनुसार आपूर्ति कर सकते हैं। इसके साथ ही देहाती और शहरी भाग में हर किराना माल की दूकान में तेल बेचा जाता हैं! बड़े-बड़े होटल्स, ढाबे, भोजनालयें, मॉल्स, सुपर मार्केटस इन्हें जो चाहिए उस वजन का पैकिंग तैयार करके बिक्री कर सकते हैं।

रॉ मटेरियल :

एक्सपेलर मशिन, फिल्टरस, ब्लीचिंग और पैकिंग मशिन, हँडप्रेस कॉम्प्रेसिंग मशिन, केज प्रेस, विद्युत मोटार बोर्ड और बॉल कॉम्प्रेसिंग मशिन आदि कच्चा माल लगेगा।

मशिनरी :

उत्पादक और वितरकों के पते, रॉ मटेरियल/मशिनरी गाईड में दिये गए हैं।

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