शहरों में ड्रायक्लीन उद्योग जोरों से चलता है। शहरी और निमशहरी भागों में 100% फिसदी यह व्यवसाय चलता ही है, ग्रामीण भागों में जहाँ पाठशालाएँ, महाविद्यालयें, कंपनी, कारखाने हैं ऐसे स्थानों पर यह व्यवसाय जोरों से चलता हैं । बहुत से लोग अपने कपडे घर में ही धोते हो तो भी बहुत-सा वर्ग ऐसा भी हैं जो अपने कपडे लाँड्री में ड्रायक्लिनींग करने के लिए अथवा धोने के लिए देता हैं।
शहरीकरन के कारण अथवा रोजगार की खोज में, नौकरी निमित्त, शिक्षा लेने के लिए ग्रामीण भागों से, देहातों से शहर में जाकर रहनेवालों की संख्या बहुत बडी है। नौकरी अथवा शिक्षा लेते वक्त कपडे धोने के लिए, अन्य काम करने के लिए बहुदा समय नहीं मिलता। तब मैले कपडे धोने के लिए लाँड्री में अथवा ड्रायक्लिनींग के लिए दिए जाते है।
लाँड्री में कॉस्टिक सोडा अथवा कपडे धोने के साबुन का उपयोग करके कपडे धोए जाते हैं। परंतु ड्रायक्लिनिंग करते वक्त कपडे अॅटोमेटिक मशिन के द्वारा धोऐ और सुकाये जाते हैं। कपड़ों पर के तेल का, ग्रीस का, चाय का, खाने का दाग जो सामान्य साबून से अथवा कॉस्टिक सोडे से निकलता नहीं वह बेंझिन, कार्बन टेट्रा क्लोराईड ऐसे रासायनिक द्रव्यों का उपयोग करके निकल जाता है।
ड्रायक्लिनिंग कि मशिन भी छोटी-बडी बाजार में मिलती हैं। व्यवसाय का विस्तार कितना है, हररोज कितने कपडे ड्रायक्लिनिंग करने के लिए आते है उसकी क्षमता पर मशिनरी की खरीदी कीजिए। एक बार ही चार अथवा दस कपडे ड्रायक्लिन करनेवाली कम-अधिक क्षमता की मशिनें मिलती हैं। ड्रायक्लिनिंग की ॲटोमेटिक मतलब स्वयंचलित मशिनें बिजली पर चलती हैं। परंतु बिजली का भरोसा नहीं होता और लिए हुए
कपडे समय पर देने हो तो समस्या न आए, इसलिए एक हाथ से चलनेवाला हँडप्रेस ड्रायक्लिन मशिन भी लीजिए। बिना प्रशिक्षण के ही ड्रायक्लिन मशिनें हमें उपयोग में लाना संभव हैं। जितने कपडे ड्रायक्लिन करने की मशिन की क्षमता होगी उतने ही कपडे मशिन में डालिए। मशिन के अंदर माईल्ड स्टील का उपयोग किया हुआ होने के कारण मशिन शुरू करने के बाद बडा (तीव्र) आवाज आता नहीं। मशिन के अगले भाग में पारदर्शक काँच धूल, लगाई हुई होने से धोए जानेवाले कपडे यह हम बाहर से देख सकते हैं। कपड़ों पर का मैल, गंदगी और अनावश्यक सॅल्वेट निकलकर दस-पंद्रह मिनट में कपडे स्वच्छ होते हैं।
पानी का बहुत-सा भाग इस वक्त कपड़ों से निकला हआ होता हैं। फिर भी थोडा सा सुखाकर फिर कपडे इस्त्री करें। कपडे स्वच्छ भी होते हैं और कपड़ों को चमक भी आती है। इस ड्रायक्लिनिंग प्रक्रिया मे अधिक मैले हुए, ग्रीस अथवा तेल जैसे न जानेवाले दाग पडें हुए कपडे पूर्णत: स्वच्छ होते नहीं। इसलिए कपडे ड्रायक्लिनिंग करते वक्त उसके साथ कुछ रासायनिक द्रव्ये उपयोग में लाई जाती हैं। जिससे कपड़ों पर के दाग निकल जाए । तेल के, स्याही के अथवा रंगों के दाग निकालने के लिए कार्बन टेट्राक्लोराईड का उपयोग किया जाता है।
कपडे ड्रायक्लिनिंग उद्योग में सबसे अधिक उपयोग बेन्झिन का किया जाता है। पेट्रोलियम पदार्थों से बेन्झिन तैयार किया जाने के कारण वह ज्वालाग्राही होता है । मशिन जोर से (तीव्र गति से) चलाया तो वह जलने की संभावना होने से उसका उपयोग सतर्कता से करना पडता हैं। बेन्झिन के कारण जो दाग निकलते नहीं वे बेंझॉल का उपयोग करके निकाले जाते हैं। सुती, टेरिकॉट के, रेशमी कपडे, शर्ट पैन्ट, कोट, साडियाँ ऐसे विविध धागों से बनाये हुए कपडे धोते वक्त अलग-अलग रासायनिक द्रव्यों का उपयोग किया जाता हैं। मशिनरी खरीदते वक्त उत्पादक-वितरक इसकी पूर्णत: जानकारी देते हैं।
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मार्केट :
लाँड्री ड्रायक्लिन का रास्ते के किनारे दुकान शुरू किया तो स्थानिक ग्राहक अपने कपडे धोने के लिए देने को आते हैं। कपड़ों के अनुसार किमत लेकर उत्पन्न प्राप्त कर सकते हैं। वैसे ही स्थानिक की अस्पतालें, होस्टेल्स, सरकारी-निजी कार्यालयें, बैंक, निवासी छात्रावास यहाँ प्रत्यक्ष जाकर वहाँ के कपडे ड्रायक्लिनिंग के लिए लाकर ड्रायक्लिन करके दे सकते हैं।
रॉ मटेरियल:
बेंझीन, कार्बन टेट्रा क्लोराईड, बेन्झॉल, सॉल्व्हेट, सफेद स्पिरीट, नॅफ्था, क्लो हायड्रो काबर्न जैसी रासायनिक द्रव्ये, पानी, कपडे धोने के साबून, कॉस्टीक सोडा आदि कच्चा माल लगेगा।
मशिनरी :
ड्रायक्लिनिंग का अॅटोमेटिक मशिन, हँड प्रेस मशिन, स्टीम आर्यन इस्त्री, ऐसी मशिनरी और टेबल, शोकेस, हैंगर्स, पॅकिंग बैग्ज, रद्दी कागज ऐसा साहित्य लगेगा।