सामान्यरूप से हर एक घर में गद्दियाँ होती हैं। देहाती भाग हो अथवा शहरी भाग हो ऐसे भागों में रहनेवाले मनुष्यों को सोने के लिए गद्दियों की आवश्यकता होती हैं ।
देहाती भाग का जीवनमान अब बदल गया हैं। छोटे शहरों के महानगर हुए हैं। हर एक के घर में बेड हैं। इस बेडपर सोने के लिए गद्दी का उपयोग होता हैं। वैसे ही गद्दियों की सर्वाधिक बिक्री होती हैं-वह अस्पतालों, दवाखानों और लॉजिंग मे, यात्रियों को रहने के लिए शहर में, तीर्थक्षेत्र के स्थान पर, पर्यटन स्थानों पर होनेवाले होटल, उपहारगृहें, रेस्तारों, लॉजिंग, बोर्डिंग, धर्मशाला इन स्थानों पर गद्दियों की आवश्यकता होती हैं।
शहरों में तो फ्लॅट संस्कृति आने से सर्वत्र गद्दियों का उपयोग किया जा रहा हैं। कारण शहरों मे तो पती-पत्नी नौकरी करते हैं। इसी कारण गोधडी सिने के लिए किसी को वक्त नहीं होता । बीस-पच्चीस साल पहले तक ग्रामीण और शहरी भाग में बिस्तर के रूपमें गोधडींका उपयोग किया जाता था। परंतु आज आधुनिकीकरण के कारण, विभक्त परिवार पद्धति के कारण गोधडी, रजाई हाथों से सिने के लिए किसी के पास समय नहीं।
ऑर्डर देते ही गद्दीवाला गद्दी तैयार करके घर लाकर देता हैं। सुख-सुविधा घर पहुँच मिलने से गोधडी, दुपटी सिने के चक्कर में कोई नहीं पड़ता। इसलिए गद्दी तैयार करने के व्यवसाय को आज अच्छे दिन आए हैं। नवउद्योजक, बेरोजगार युवक ग्रामीण अथवा किराये के घर में यह व्यवसाय करके अच्छा नफा प्राप्त कर सकते हैं।
कच्चे माल की उपलब्धता भी पास ही होती हैं। और तैयार किया हुआ माल खरीदने के लिए ग्राहक भी स्थानिक का ही उपलब्ध होने से गद्दी कारखाना व्यवसाय में अच्छे अवसर हैं।
कपास (रूई) उत्पादन किसानों की ओर से कपास खरीद लिया तो थोडा सस्ता मिल सकता हैं, इसलिए उत्पादन के स्थान से पास के कपास उत्पादक किसान की जानकारी लेकर उनकी ओर से अच्छे दर्जे का कपास खरीद लीजिए। कपास (रुई) उत्पादन स्थान से लाकर कपास पिरोने के मशीन में डालकर कपास फुलाईएँ।
कपास पिरोते वक्त उनमें से कपास के बीज और अन्य कूड़ा-कचरा निकल जाता हैं। स्वच्छ हुआ पिरोया हुआ कपास कपडे की बडी थैली मे भरकर गद्दी तैयार की जाती हैं। सिंगल अथवा डबल गद्दीयों की ऑर्डर होंगी वैसे साईज की गद्दियाँ माँग के अनुसार तैयार करके दीजिए।
सिंगल गद्दीयाँ अंदाज से आठ से दस किलो और डबल बेड की गद्दियाँ बारह से सोलह किलो रूई से (कपास से) तैयार की जाती हैं। कम-अधिक दर्जे के कपास के दर भी (कीमतें भी) कम-अधिक हैं। मार्केट यार्ड में भी निलामी के स्थान पर कपास खरीद कर सकते हैं । कपास बेचनेवाले होलसेल व्यापारी भी हैं।
उनकी ओर से भी हमें जो चाहिए उस दर्जे का कपास खरीदने आएगा। माँग जितनी होगी उस दृष्टि से मजदूरों की आवश्यकता होगी । गद्दी का कपास (रुई) पिरोना और गद्दी सिकर बिक्री के लिए तैयार करना इसके लिए कुशल (निपुण) मजदूरों की आवश्यकता हैं । अल्प शिक्षित बेरोजगार युवकों को, मेहनत की तैयारी हो तो अपने रहनेवाले गाँव में भी गद्दी उद्योग अच्छा रोजगार प्राप्त करके दे सकता हैं।
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मार्केट :
होटल, लॉजिंग, दवाखानें, अस्पतालें इन स्थानों पर जाकर वहाँ के व्यवस्थापक की ओर से पुरानी खराब हुई गद्दीयाँ जमा करके उन्हें उनके पुरानी गद्दीयों में से अच्छे स्थिति में होनेवाले कपास में अन्य कुछ कपास डालकर नई गद्दीयाँ तैयार करके दे सकते हैं । पुरानी गद्दी लेते (खरीदते) वक्त वजन करके लीजिए और नई गद्दी देतें वक्त वजन करके दीजिए। पुरानी गद्दी की अपेक्षा नई गद्दी का जो वजन होगा उसके हिसाब से मजदूरी लीजिए। वैसेही फर्निचर दुकानें, गद्दी की दुकानें इनकी गद्दीयाँ तैयार करके दे सकते हैं। ‘गद्दी कारखाना’ ऐसा बोर्ड लगाने के बाद स्थानिक के लोग नई गद्दीयाँ तैयार करके ले जाते हैं और पुरानी गद्दीयाँ दुरस्ती के लिए (मरम्मत के लिए) देते हैं। आसपास के गाँवों मे घूमकर पुरानी गद्दीयाँ जमा कर सकते हैं और नई गद्दीयाँ बेच सकते हैं।
रॉ मटेरियल:
अच्छे दर्जे का कपास (रूई) और गद्दी के लिए कपडा यह कच्चा माल लगेगा।
मशिनरी :
कपास पिरोने का मशिन, शिलाई मशिन, वजन काँटा, इलैक्ट्रिक मोटर ऐसी यंत्रसामग्री और कैंची, सुई, धागे ऐसा साहित्य और मशिन दुरुस्ती की यह मशिनरी लगती हैं।