कॅरी बॅग्ज और प्लास्टिक के थैलियों के कारण पर्यावरण का संतुलन बिघड रहा है। यह ध्यान में आने के बाद सरकारने कॅरी बॅग्ज और पतली प्लास्टिक की लियों के उत्पादन और बिक्रीपर बॅन लगानेसे (बंदी करने के कारण) कागज की थैया और कपड़े की थैलियों को बाजार में बहुत ही माँग बढीं हैं। छोटी-बडी कोई भी खर’ददारी होने के बाद दुकानदारों को वजन में हलकी और उपयोग के लिए सुविधाजनक-पस्ती होने से कॅरी बॅग्ज का उपयोग बहुत बडे प्रमाण में हुआ।
युज अँड थ्रो ऐसी लोगों की आदत के कारण प्लास्टिक कॅरी बॅग्ज और थैलियों का बहुत-सा कचरा अन्यत्र बिखरा हुआ दिखाई देता हैं। ऐसे प्लास्टिक के कचरे का प्राकृतिक विघटन न होने से, प्रकृति के चक्र के अनुसार प्लास्टिक न सडनेसे, सालों साल वह प्लास्टिक रूपी कचरा जमीन के अंदर वैसेही रहता हैं।
ऐसे प्लास्टिक पतली कॅरी बॅग्ज में से झूठे रहे हुए फेंककर देने के अन्नपदार्थ, खाद्यपदार्थ फेंक देने से भटकनेवाले जानवर और कुत्ते ऐसे अन्नपादर्थ कैरीबैग्ज के साथ खाते हैं। इन प्लास्टिक कचरों की पाचनक्रिया न होने से वह (कचरा) जानवरों के पेट में वैसे ही रहता हैं।
परिणामतः भटकनेवाले जानवर तडप-तडपकर मर जाते हैं। मतलब ही प्लास्टिक के थैलियों के कारण, प्लास्टिक के कचरे के कारण प्रकृति का और अप्रत्यक्ष रूप से मानवी-जीवन-चक्र का विनाश होता है।
यह सबके ध्यान में आने से प्लास्टिक थैलियों का उपयोग कम होकर उसे पर्याय के रूप में कपडे की थैलियाँ और कागज की थैलियों का उपयोग बढ गया हैं। आज छोटी-बडी खरीददारी के वक्त दूकानदार, शोरूम, मॉल्स में के बिक्रेते कागजी अथवा कपडे की थैली ग्राहकों को देते हुए दिखाई देते हैं।
ऐसी बॅग्ज की आज माँग बढ़ने से गृहोउद्योग के रूप में व्यापारियों को कागज की और कपड़े की थैलियाँ देने का व्यवसाय किया तो निश्चित ही अच्छा फायदा और पूरे परिवार को रोजगार मिल सकता हैं। कागजों की बैग्ज तैयार करने के लिए रद्दी कागजों का उपयोग किया जाता हैं। रद्दी के (कबाडी की) दुकान से अथवा घूमकर रद्दी जमा करके ऐसी थैलियाँ तैयार कर सकते हैं।
कच्चे माल के रूप में सिर्फ अच्छे दर्जे के कागज की रद्दी ही लगेगी। दवाईयोंकी दूकानें, स्टेशनरी दूकानें, किराणा दूकानें, अनाज की दूकानें, खाद्य पदार्थों के स्टॉल्स इन स्थानों पर व्यापारियों की भेंट लेकर उनके ऑर्डर के अनुसार माल दे सकते हैं। कागज की थैलियाँ जो चाहिए उस नाप का कटींग लेकर रद्दी से तैयार कर सकते है। तो कपडे की थैलियों के लिए नये अथवा पुराने कपड़ों का उपयोग कर सकते हैं।
जाडा, टिकनेवाला कपडा खरीदकर छोटी-बडी थैलियाँ सीकर वह व्यापारियों को दे सकते हैं। कागज की थैलियों के लिए कागजों का योग्य कटिंग्ज लेकर गोंद से चिपकाकर थैलियाँ तैयार करो।
अत्यंत आसान पद्धति से घर बैठे थोडी-सी जगह में, थोडे-से भांडवल में महिला और पुरुषों को यह बैग्ज तैयार करने आयेगी। कपडे की थैलियों के लिए कपडा और सिलाई मशीन इतना ही साहित्य लगेगा। कपडे की थैलियों के लिए (थैलियों पर) जिन्हे उस ऑर्डर के अनुसार थैलियाँ देनी हैं उस दूकानदार के व्यापारी का, दूकान का विज्ञापन भी अच्छे आकर्षक पद्धति से कर सकेंगे। उनकी जरूरत भी पूरी होगी और सस्ते में उनके व्यवसाय का विज्ञापन भी होगा।
थोडी-सी कल्पकता का उपयोग करके, नाविन्यपूर्ण ऐसे नमूने तैयार करके व्यवसाय का विस्तार बढ़ा सकते हैं। जिनके पास भांडवल की कमी हैं ऐसी महिलाएँ, पुरुषों ने, नवउद्योजक बेरोजगारों ने रोजगार की ज़रूरत के लिए यह व्यवसाय अवश्य चुनिए ।
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मार्केट :
हर मनुष्य बाजार में कभी ना कभी, कुछ न कुछ खरीदने के लिए जाता ही हैं। इसी कारण हर एक को थैलियों की जरूरत होती हैं। हर मनुष्य यह अपना ग्राहक हैं। आपने तैयार की हुई बैग्ज किराणा माल की दुकानें, दवाईयों की दूकानें, मॉल्स, मिनी मार्केट, खाद्य-पकवानों के बिक्रेते, मिठाईयों की दूकानें, स्टेशनरी दूकानें, बझार इन स्थानों पर बेच सकते हैं।
सिर्फ थैलियों का व्यापार करनेवाले कुछ होलसेल व्यापारी हर मार्केट में होते हैं। उनसे मिलकर उनकी ओर से बाजार की माँग के अनुसार आवश्यकडिझाईन के थैलियों की ऑर्डर प्राप्त कर सकते हैं। छोटे-बड़े आकार के, एक विशिष्ट ऐसा वजन ले सकनेवाली आकर्षक थैलियाँ तैयार करके रिटेल, होलसेल, डोअर मार्केटिंग पद्धति से बेच सकते हैं ।
रॉ मटेरियल:
रंग-बिरंगी नया-पुराना कपडा, धागा यह कच्चा माल कपडे की थैलियों के लिए तो कागज की थैलियों के लिए रद्दी कागज अथवा खाकी कागज का उपयोग कीजिए।
मशिनरी :
कपडे सिने का सिलाई मशीन ही कपडें की थैलियों के लिए उपयोग में ला सकते हैं।