भारतीय संस्कृति में अगरबत्ती को बड़ा महत्त्व हैं। किसी भी धार्मिक कार्य में, धार्मिक विधियों में, पूजा – अर्चना करने के लिए अगरबत्ती, उदबत्ती, धूपबत्तीयों की जरुरत पडती हैं।
घर बैठे महिला और पुरुषों को कम पैसो में शुरु करने योग्य और तुरंत नगद पैसा प्राप्त करके देनेवाला व्यवसाय-इस रुप में अगरबत्ती उद्योग का चयन करना कभी भी योग्य होता हैं।
अगरबत्ती उद्योग की व्याप्ती और विस्तार यह इस उद्योग में लगाए हुए धन पर निर्भर हैं । अगरबत्ती उद्योगों मे प्रत्यक्ष अगरबत्ती तैयार करना, तैयार की हुई अगरबत्तियों को सुवासिक करना, वैसे ही अगरबत्ती व्यवसाय की सामग्री देना ऐसे सहव्यवसाय भी कर सकते हैं।
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इस व्यवसाय को हम अपने घर से भी शुरू कर सकते हैं:
घर में दो-चार महिलाएं बेरोजगार हो कोई एक-दो, पुरुष व्यक्ति रोजगार की खोज में हो तो महिलाएँ अगरबत्ती तैयार करना और पुरुष उसका मार्केटींग करना ऐसा घरेलु उद्योग शुरु किया तो वह उद्योग कम समय में बड़े उद्योग में रुपांतरीत होगा। सिर्फ अगरबत्ती की काड़ी तैयार करना, उसे अलग-अलग सुगंध देकर, अच्छे प्रकार के आकर्षक पैकींग में मार्केट मे लाँच करना बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं ।
अगरबत्ती को कैसे तैयार किया जाता है?
अगरबत्ती के लिए लगनेवाला कच्चा माल बाजार में अधिकतर होलसेल व्यापारियों के पास मिलता हैं। एक किलो माल से (चूर्ण से) साधारणतः चौदह-सौ से सोलह-सौ काड़ी तैयार कर सकते हैं।
जितनी कोयला पावडर ली होगी उसके समप्रमाण में चिपकनेवाली (चिकट) पावडर लेकर आवश्यकता के अनुसार पानी लेकर आटा गुंदते हैं उसी प्रकार बांबु के छोटे-छोटे काड़ियों को लगाकर कोयला पावडर और नर्गीस पावडर लगाकर नाजूक हाथों से धीरे-से हाथ पटरेपर अथवा चकचकीत पोलपाट पर घूमाकर काड़ी तैयार कीजिए ।
तैयार काड़ी कागजपर सूखाने के लिए डालें। तैयार काड़ी अधिक समय धूप में न सूखायें वैसे ही अधिक हलचल न करते हुए काड़ीयों पर काड़ियों का गठ्ठा करें ।
बार-बार हाथ लगाने से काड़ी खराब होने की संभावना होती हैं। अगरबत्ती तैयार होने पर मार्केट में बेच सकें अथवा उसकी उचित कीमत में बिक्री हो सकें इसलिए अगरबत्तियाँ विविध सुवासों से सेंटेड कीजिए। इसे ही सेंटेड अथवा सुवासिक अगरबत्ती कहते हैं।
अगरबत्ती सेंटेड करन के लिए D.I.P oil , white oil का उपयोग किया जाता हैं। इनका सुगंध अधिक समय तक टिकती है ।
पैकींग भी आकर्षक होनी चाहिए:
अगरबत्ती में टिकनेवाले सेंट का उपयोग हो वैसे ही उसका पैकींग भी आकर्षक हो। नजदीक के प्रिटींग प्रेस में ऐसी पैकींग्ज तैयार करके मिलती हैं।
अच्छा, दर्जेदार पैकींग हो तो माल को मांग भी अधिक आती है। आपके आगरबत्ती की क्वालटी अच्छी हो, व्यापार और बिक्री का विस्तार अधिक हो तो आपके खुद के नाम का आकर्षक ब्रेडँ तैयार करके वैसी पैकीज तैयार करके लिजिए ।
इस व्यवसाय के साथ ही साथ अन्य चिजो का उत्पादन कर के भी बेच सकते हैं :
अगरबत्ती के साथ ही, धूपबत्ती, उदबत्ती, धूपकांडी, कापुर, पूजा की बातियाँ, उद, कुंकुम आदि पूजा की सामग्री भी तैयार करके बेच सकते हैं। सभी जाति-धर्मों के लोगों में धार्मिक कार्यों में अगरबत्ती की जरुरत होने से नवउद्योजकों ने इस अल्प भांडवली उद्योग को जरुर महत्व प्राधान्य देना चाहिए।
मार्केट मे माल कैसे बेचे?
अगरबत्ती व्यवसाय को यदि व्यावसायिक और बिक्री की स्पर्धा बड़ी हुई तो भी बहुत बड़ी बाजार और ग्राहक भी उसके लिए उपलब्ध हैं ।
अगरबत्ती का हमेशा का ग्राहक यह मार्केट में हमेशा नया-नया बॅड ढूंढता हैं । इसी कारण आप भी अलग-अलग इत्र का (सेंट का) उपयोग करके, विविध इत्र एकत्रित करके एखादं खास ब्रड बाजार में लाने का प्रयत्न करें।
‘डोअर टू डोअर’ मार्केटींग में यह पद्धति अगरबत्ती बिक्री के लिए अत्यंत फायदेमंद साबित होती हैं। इसके साथ ही किराना दुकाने, स्टेशनरी, बझार इन स्थानों पर भी अगरबत्ती बिक्री कर सकते हैं।
अगरबत्ती बनाने के लिये रॉ मटेरियल:
कोयला पावडर, चिपकनेवाली पावडर, नर्गिस पावडर, कच्ची काडियाँ, पानी, विविध मसालों की तेलें, सुगंधी रस (अर्क), फूलों के रस (अर्क), धूप, चंदन तेल, गुलाब की पंखुडियाँ, दवणा, नागरमोथा, वाळा, गवला-कचरी, दगडी-फूल (पत्थरी फूल ) रासायनिक और वनस्पतिजन्य खनिज पदार्थ, लकड़ी का लगदा, जाड़ा (खुर्द) कागज, जिलेटीन पेपर, कैंची, रद्दी कागज, रंगीन बुक्का, गुलाल, विविध रंग की रंग-द्रव्ये आदि साहित्य – सामग्री और कच्चा माल अगरबत्ती तैयार करने के लिए चाहिये। आवश्यकता के अनुसार यह कच्चे माल की सामग्री नजदीक के होलसेल व्यापारी की ओर से खरीद सकते हैं।
FAQ
Q.1 यह व्यवसाय हम कितने रुपये कि लागत से शुरू कर सकते हैं?
1 से 2 लाखँ रुपये कि लागत से हम ये व्यवसाय शुरू कर सकते हैं।
Q.2 क्या इस व्यवसाय को हम अपने घर से शुरू कर सकते हैं?
जी हां, यह व्यवसाय छोटे पैमाने से शुरु किया जा सकता है। क्युकि इसमे न ज्यदा मशिनो कि जरुरत होती है और न हि ज्यदा मजदुर चाहिये होते है।