स्टेशनरी साधन-सामग्री निर्माण उद्योग ( How to Set up Stationary Business? )

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सालों-साल हमारे देश में जो पारंपारिक उद्योग-व्यवसाय किये जा रहे है, उसमें से हमारे भारतीय लोग आसानी से बाहेर नही आते। पारंपारिक उद्योगोंको छोडकर नया कुछ तो करने की उनकी मानसिकता जल्दी बनती नहीं हैं। डॉक्टर का बेटा डॉक्टर ही बने और टिचर के बेटेने टिचर ही बनना चाहिए, ऐसी उनकी मानसिकता होती हैं।

भारत में हजारो सालों से बारा बलुतेदारी पद्धती आस्तित्व में हैं। लुहार के बेटे को लुहार काम और सुतार के बेटे को सुतार काम सिखना नहीं पड़ता। परंपरा से घरमें चलते आए ऐसे व्यवसाय अगली पिढी भी देखते देखते आसानी सिख जाती हैं।

व्यापारियों की अगली पीढ़ी भी करीबन व्यापारी ही बनती हैं। लेकीन आज दुनिया और जमाना बदल गया हैं। पारंपारिक नही है, मगर रोज की दैनिक जरूरतों वाले बहुत सारे व्यावसायोंकी आज निर्मिती हुई हैं। जैसा आधुनिक जमाने में समाज बदलता गया वैसे समाज की जरूरतें भी बदलती गई समाज की जरूरतों को अभ्यास करके मार्केट की माँग के अनुसार जरूरतवाली उत्पादने हमने अगर बनायी तो आज हजारों ऐसी उत्पादने हैं जो आप कम लागत में, कम पैसो में चीन, कोरीया, जपान, इंडोनेशिया जैसे देशों ने इलैक्ट्रॉनिक उत्पादनों को लगनेवाले छोटे स्पेअर पार्ट गृहोद्योग और कुटीरोद्योग के रूप में बनाके अपने देशकी अर्थव्यवस्था को बहुत मदद की हैं।

आपके पास अगर कम लागन, कम पैसे हो लेकीन नया कुछ करनेकी उम्मीद हो तो छोटी आधुनिक उत्पादनें बनाने के व्यवसाय को जरूर चुनिएँ। स्टेशनरी साहित्य की निर्मिती करना यह ऐसाही एक छोटा उद्योग हैं। स्टेशनरी साहित्य में नोटबुक, किताबें, रजिस्टर, कागज, स्कूल के बच्चों को लगनेवाली प्रिंटेंड स्टेशनरी जैसी बहुत सी चीजें आती है।

स्टेशनरी उत्पादन में से कौनसा उत्पादन बनाया जाएँ यह पहले अभ्यास से तय करें। मार्केट में बारहों महिने डिमांड रहनेवाली स्टेशनरी मतलब नोटबुक और कॉपीयाँ। नोटबुक, कॉपीयाँ तैयार करने के लिए बहुत थोडे प्रशिक्षण की जरूरत हैं। प्रत्यक्ष कॉपियाँ तैयार करने के किसी कंपनी में थोडे दिन काम करके अनुभव ले सकते हैं।

स्टेशनरी निर्मिती व्यावसायिकों के मार्गदर्शन और सलाह से कॉपियाँ तैयार कर सकते हैं। कॉपियाँ तैयार करने का रुलिंग मशिन, स्टिचिंग मशिन, हैड्रोलिक प्रेस मशिन बाजार से खरीदकर ले सकते हैं। पुस्तकें अथवा प्रिंटेड मॅटर छपाई करके यदि स्टेशनरी तैयार करनेवाले हो तो प्रिंटिंग मशिन की जरूरत लगती हैं ।

कॉपियाँ तैयार करने के लिए एकरेखीय, दो रेखीय, चार रेखीय ऐसे प्रिंटेड कागजों के बंडल कागजों के होलसेल व्यापारियों से लाकर हम उन्हें स्टिचिंग, कटिंग, बाईडिंग ऐसी प्रक्रियाएँ करके कॉपियों का उत्पादन कर सकते हैं। अथवा प्लेन कोरे कागज लाकर खुद ‘रेखा प्रिंटिंग’, ‘कव्हर पेज प्रिंटिंग करके कॉपियों की निर्मिती कर सकते है। यह प्रत्यक्ष अनुभवसे करने का व्यवसाय होने से प्रिंटिंग और बायडिंग विषयों पर की पुस्तकें बाजार में उपलब्ध है उनका अध्ययन कीजिए ।

मार्केट :

घरों से लेकर कार्यालयों तक सर्वत्र कॉपियों की जरूरत होती हैं। सबसे अधिक कॉपियों का उपयोगी विद्यार्थी-वर्ग करता हैं। विद्यार्थियों को लगनेवाली कॉपियाँ वगैरे स्टेशनरी उनके अभिभावक (पालक) स्टेशनरी के दूकान से खरीद लेते हैं। इसी कारण आपका स्टेशनरी का उत्पादित माल आप स्टेशनरी, कटलरी के होलसेल और रिटेल व्यापारियों को बेच सकते हैं। घर-घर जाकर कॉपियाँ बेचनेवाले बिक्रेते हैं, उनके द्वारा ‘डोअर मार्केटिंग’ भी कर सकते हैं।

खुद का उत्पादन सीधे ग्राहक को बेचा तो थोडा सस्ता बेच सकने से अन्य स्पर्धक उत्पादकों की अपेक्षा अधिक बिक्री हो सकती हैं। स्टेशनरी दूकानों के साथ ही संस्था, कार्यालयें, कंपनियाँ, ऑफिसेस, बैंक, व्यापारी, उद्योजक इन्हें लगनेवाली स्टेशनरी उनसे ऑर्डर प्राप्त करके तैयार करके दे सकते हैं।’

रॉ मटेरियल :

सफेद अथवा रेखाएँ खिंची हुई आखीव कागजें, ग्रे बोर्ड शीटस्, छपाई की नीली, लाल, काली रंगीन स्याही, स्टिचिंग का धागा,कव्हरशीट, बायडींग के कपडे आदि कच्चा माल.

मशिनरी :

रुलिंग मशिन, स्टिचिंग मशिन, हॅड्रोलिक प्रेस, पेपर कटिंग मशिन, गमिंग मशिन ऐसी यंत्रसामग्री और मशिनरी मेंटेनन्स का साहित्य और औजार लगेंगे।

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