बिझनेस कोई भी करो, लेकीन उसके लिए पैसा तो चाहिए ही। बिना पैसों का उद्योग-व्यापार शुरु करना कम-से-कम आज के महंगाई के जमाने में तो संभव नहीं हैं। व्यवसाय कोई भी शुरु करो पैसा तो चाहिए ही, व्यवसाय का चयन और जरुरत के अनुसार भांडवल (पैसा) कम अथवा ज्यादा लगेगा।
लेकीन पैसों की व्यवस्था होनी ही चाहिए । आधुनिकीकरण और विकास के कारण आज सैंकडो बैंक शहरी और ग्रामीण स्तर पर कार्यरत हैं। भांडवल (पैसा) आपके पास न हो तो वह उपलब्ध करने के लिए आज हजारों पर्याय हैं। बैंको की कर्ज-प्रक्रीया और अन्य कागजात यदि हमने पूरी करके दी तो आज कोई भी बैंक आपको कर्ज उपलब्ध करके देती हैं।
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बैंकों और अन्य संस्थाओ से व्यवसाय मे मदद
बैंकों का निजीकरण और फायनान्स कंपनियों के कारण आज गाँवो में भी ऐसी वित्तीय संस्थाओं की शाखाएँ अपना विस्तार बढ़ा रही हैं। बैंको की व्यावसायिक स्पर्धा के कारण आज सामान्य मनुष्य को कर्ज की सुविधा सर्वत्र उपलब्ध हैं। सुशिक्षित बेरोजगारों को वित्तिय सहाय्यता करनेवाली बहुत-सी सरकारी -योजनाएँ और वित्तिय महामंडलें है।
इनसें नवउद्योजकों को मशीनरी, कच्ची सामग्री इसके लिए अनुदान और कर्जा मिलता है। ‘नैशनल-स्मॉल-स्केल इंडस्ट्रीज कार्पोरेशन, राष्ट्रीय लघु-उद्योग महामंडळ नई दिल्ली, स्टेट फायनान्शियल कार्पोरेशन, राज्य वित्तिय महामंडल इन वित्तिय संस्थाओं से लघुउद्योग दर्ज हुए लघुउद्योजकों को मशिनरी वगैरा खरीदने के लिए कर्ज मिलता हैं।
ऐसी लघुउद्योग महामंडले स्वदेशी अथवा परदेशी बाजार में उपलब्ध होनेवाली मशिनरी सुलभ किश्तों से उपलब्ध करके देती हैं। ऐसे कर्जे लेने के लिए कागजपत्रों की पूर्तता करनी पड़ती हैं। जैसे-उद्योग विभाग की ओर लघुउद्योग के रुप में आपके उद्योग को दर्ज किए हुए दाखिले की प्रत, मशिनरी का कोटेशन, मशिन इम्पोर्ट करनी हो तो एक प्रतिशत क्लीअरीगं चार्जेस भरना पड़ता हैं।
स्वदेशी यंत्र सामुग्री क लिए बैंक गैरंटी दस प्रतिशत अग्रीम राशि में से पाँच प्रतिशत बैंक गैरंटी और पाँच प्रतिशत डिमांड ड्राफ्ट भरना पड़ता हैं। कर्जे का भुगतान सात साल में करना होता हैं। सरकारी नियंत्रणो में होनेवाली बहुत-सी बैंके, सुशिक्षित बेरोजगारों को, निपुण और तंत्रज्ञ मजदूरों को सरकारी योजनाओं में से अर्थसहाय्य उपलब्ध करके देती है।
वह बैंके-युनियन बैंक ऑफ इंडिया, युनायडेट कमर्शियल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ोदा, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया, कैनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक ऐसी शासकीय (सरकारी) बैंको की ओर से लघुउद्योजकों के लिए, सुशिक्षित बेरोजगारों के लिए, अर्थसहाय्यता देनेवाली सरकारी योजनाएँ कार्यान्वीत की जाती हैं।
आपको यदि अर्थसहाय्यता की आवश्यकता हो तो-अपने नजदिक के ऐसी वित्तीय सहायता देनेवाली बैंको के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर फिलहाल की अर्थसहायता देनेवाली योजनाओं की जानकारी लिजिए और कर्जा प्राप्त करने के विषय में चर्चा करके, कर्ज प्रकरणों के लिए लगनेवाली कागजपत्रों की जानकारी लो।
उद्योग शुरु करने के पूर्व क्या-क्या ध्यान मे रखना चाहिए?
अपना उद्योग शुरु करने के पूर्व, हमने नियोजन किए हुए उद्योग के लिए कितने भांडवल (पैसों की) जरुरत है इसका पुरा प्रोजेक्ट, आर्थिक क्षमता, हमें होनेवाला बाह्य जगत का व्यवहारीक ज्ञान, नये तंत्रज्ञान की जानकारी, हमें उद्योग- व्यवसाय शुरु करने से पहले उसके लिए लगनेवाले शारीरीक और मानसिक क्षमताओं का आत्मपरीक्षण खुद करना चाहिए।
अपने घर के लोगों की, परिवार की, रिश्तेदारो की, समाज की हमसे जो आशा, आकांक्षा, अपेक्षा होती हैं वह सचमुच ही हमसे पूरी करने की हमारी क्षमता हैं क्या? यह जाँचकर देखो. हमारे उद्योंगो के लिए हमारे पास कितना भांडवल (पैसा) है यह देखना है।
देखेंगे, हो जायेगा ऐसी आशा-अपेक्षाओंपर निर्भर रहकर उद्योग की शुरुआत मत करो। घर के लोगों की हमें कितनी आर्थिक-सहायत्ता होनेवाली हैं, बैंको से कितना लोन (कर्जा) मिलनेवाला है, हमारी नकद बाकी कितनी, हम जिनसे आर्थिक सहायत्ता लेनेवाले है, उधार हँडलोन लेनेवाले है उनसे कितनी रकम आनेवाली है, उद्योग के लिए अन्य कौन- कौन-सी जगहों से हमने आर्थिक नियोजन किया हैं, वे सब नियोजनें पूरे होंगे क्या, बैंक का लोन समय पर मिलेगा क्या?
इसकी सिर्फ निश्चितता करके उद्योग शुरु करने की अपेक्षा ये सब आर्थिक नियोजन पूरे होने के बाद व्यवसाय-उद्योग की शुरुवात करनी चाहिए ।
हमने सिर्फ कागजोपत्री अथवा मौखिक आश्वासनें लेकर उद्योगों की शुरुवात की और ऐन समय पर जिन्होने हमें आर्थिक मदद का आश्वासन दिया है उन्होंने हमें पैसा नहीं दिया अथवा जिन वित्तीय संस्थाओ की ओर हमने कर्जे की माँग की है उन्होंने कागजपत्रों की पूर्ति नहीं की इसलिए अथवा अन्य किसी भी तांत्रिक कारण से आपका कर्जा नामंजूर किया तो? हम हमारे पास होनेवाला खुद का पैसा उद्योग के प्रारंभ में खर्च करें तो हमारा बहुत बड़ा नुकसान होगा।
कर्ज नामंजूर हुआ, आर्थिक सहायता की जिन्होंने तैयारी दिखाई होती है, आश्वासने दिये होते हैं, उन्होंने मदद नहीं की तो अपना खुद का सारा धन उद्योग के आरंभ में खर्च होकर अपना प्रोजेक्ट आरंभ में ही बंद पडेगा और सबकुछ खो बैठने की नौबत आ जाएगी |
इसके लिए सभी प्रकार के नियोजनों में से सभी आर्थिक सहायत्ताओं की (आधारों की) पूर्ति करो, रकम जमा करो, बड़ी-बड़ी बैंकों में पैसा सुरक्षित रखो और फिर उद्योग की शुरुवात करो ।
मानसिक तानाव मे व्यवसाय कि शुरूवात नही करनी चाहिए
जब कोई एक नवउद्योजक नया उद्योग-व्यवसाय शुरु करता हैं तब उसे उद्योग की जगह, पानी, बिजली, (लाईट), कच्ची सामग्री, मशीनरी से लेकर बिक्री तक की सभी कार्ये उसे खुद ध्यान देकर करनी पड़ती हैं और यदि उसका आधा ध्यान व्यवसाय शुरु करने की ओर और आधा ध्यान आर्थिक नियोजन की ओर हो तो उसके उद्योग की शुरुवात अच्छे ढंग से कदापी नहीं हो सकती।सर्वत्र अव्यवस्था आयेगी।
बिना कारण जहाँ जरुरत नहीं वहाँ अधिक पैसे खर्च करने पड़ेंगे। मैनेजमेंट पर नियंत्रण नहीं रहेगा। मानसिक स्थिती अस्थिर हो गई तो नई कल्पनाएँ नहीं सूझेगी । दैनिक व्यवहार में चिढ़चिढ़ापन आयेगा। मनस्थिती बिघड जायेगी। संसार के सभी मनुष्यों को सबसे बड़ा तनाव होता हैं, पैसों का, अर्थिक नियोजन का । आज के भागदौड़ के जीवन में मनुष्य को आर्थिक स्थिरता हो तो वह सुखी रह सकता हैं। आज पैसों के बिना संसार में कुछ भी नहीं मिलता यह सत्य परिस्थिति होने के कारण अपनी दैनिक जरुरंतों के लिए लगनेवाले पैसों का इंतजाम हो तो मनुष्य को जीते वक्त थोड़ी मानसिक स्थिरता मिलती है, यह सत्य हैं ।
मानसिक स्थिरता न हो तो मनुष्यों का किसी बात में भी ध्यान नहीं लगता । संसार में बहुत से बुद्धिमान लोग आर्थिक नियोजन न होने से अपनी कल्पना, अपनी खोंजे इन्हें आगे नहीं ले जा सकते । सिर्फ कल्पनाओं के बल पर, सिर्फ सपने देखकर हमें आज जो चाहिए वह प्राप्त नहीं हो सकता ।
उसके लिए चाहिए आर्थिक आधार, आर्थिक सहायत्ता, आर्थिक तरतूद, आर्थिक नियोजन । इसलिए उद्योग शुरु करने के पूर्व उसका सभी प्रकार का आर्थिक नियोजन करना अत्यंत आवश्यक हैं ।
इसके लिए खुद के आर्थिक क्षमता पर आधारित उद्योगों की शुरुवात करनी चाहिए । वेबसाइट के अंत में सैंकडो ‘उद्योंगो’ की सूची दी हैं, इनमें से आपको अच्छा लगनेवाला कोई एक उद्योग आपके बजट के अनुसार चुनकर, उसका अध्ययन करके आप शुरु कर सकेंगे ।
वेबसाइट में कुछ आधुनिक तंत्रज्ञान के आधार पर कर सकनेवाले, कम भांडवल के सेवा उद्योगों की जानकारी दी हैं। बहुत-से लोगों के पास अच्छी कल्पनाशक्ति होती हैं, वैसी वह आपके पास भी होगी, आपकी कल्पनाशक्ती का उपयोग करके हमने दी हुई संकल्पानाओं और जानकारियों का मिलाफ करके उद्योग सफल करने का प्रयत्न करो।
पूर्णतः बिना पैसों का व्यवसाय शुरु करना आज के युग में संभव न होने से व्यवसाय का विस्तार कितना है इसपर उस उद्योग के लिए कितना पैसा लगेगा यह तय होगा। गृहोपयोगी उद्योग, सेवा उद्योग, यह अत्यंत कम पैसे में, थोडी-सी जगह में, अकेले अथवा कम मनुष्यबल के आधार पर शुरु कर सकते हैं, परंतु लघुउद्योग, औद्योगिक व्यवसाय, रासायनिक उत्पादने, अन्न प्रक्रिया उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रीकल उत्पादन और व्यापार ऐसे व्यवसायों मे थोड़ाअधिक पैसा लगता हैं।
ऐसे उद्योग-व्यापार यह भांडवली-उद्योग हैं। इसलिए वे व्यवसाय शुरु करते वक्त भांडवल (पैसा) हर प्रकार से इकट्ठा करो। लघुउद्योगों के लिए उत्पादन करनेवाले सामग्री, चिजों के कीमत पर आधारीत धन (पैसो की) जरुरत हैं।
उत्पादित माल का ब्रेन्ड बनवाकर बाजार में लानेवाले हो तो कच्चा माल, साधन-सामग्री, मजदूर, उनका वेतन, मशीनरी, बिजली (लाईट), पानी, पैकींग, विज्ञापन, यातायात इसके लिए लगनेवाले भांडवल को (पैसों को) इकट्ठा करके आपका उत्पादन शुरु होने से पूर्व आपके पास रखना चाहिए।
आप जो उद्योग-व्यापार, व्यवसाय शुरु करनेवाले हो, उसके लिए लगनेवाले पैसों की (भांडवल की) आपके पास उपलब्धता हो तो कर्जा मत निकालो। कारण एक बार कर्जा लेने पर, कर्ज की रक्कम लेने पर उस कर्जे के ब्याज, सुद मीटर दिन-रात शुरु ही रहेगा।
लिये हुए कर्ज की रक्कम पर व्याज बढ़ता जायेगा परिणामतः कर्जा बढ़ता जायेगा। लिए हए कर्जे की किश्त यदि हम नियमीत भरेंगे नहीं तो एक दिन हमारी कंपनी हमारा कारखाना, उद्योग बैंक के हवाले हो जायेगा ।
हमने अपने खुद के पास की व्यवसाय के लिए लगाई हुई रक्कम और तारण के रुप मे दी गई मालमत्ता सब ही खत्म होकर हमारा रास्ते पर आने का डर रहता हैं। इसके लिए स्वनियोजन, खुद की रकम (पैसा) व्यवसाय शुरु करने के लिए उपलब्ध हो तो बिना कारण कर्जा निकालकर कर्जे का बोझ मत करो। बिना कर्ज उद्योग शुरु किया तो कर्ज होने का तनाव आप पर नही रहता ।
यह आपका एक फायदा होता हैं । मानसिकता तकलीप नहीं होती। शारिरीक और मानसिक दृष्टी से आप तंदुरुस्त (स्वस्थ) रहते हैं। ठीक तरह से नींद लगती हैं। ऐसी मानसिक स्वस्थता, स्वास्थ्य प्राप्ती होने के कारण नई-नई कल्पनाएँ सूझती है, हमारा पूरा समय अपने उद्योग व्यवसाय पर केंद्रीत कर सकते हैं ।
बिना कर्ज शुरु किए व्यवसाय से मिलनेवाले फायदे की रकम व्यवसाय में ही लगाकर व्यवसाय और पैसा (भांडवल) बढ़ा सकते हैं। हमारी आर्थिक क्षमता जितनी होगी उसके अनुसार ही उद्योगों का चयन करना चाहिए ।
आर्थिक क्षमता के अनुसार व्यवसाय की शुरूवात करनी चाहिये
आर्थिक क्षमता के इतना ही प्रोजेक्ट शुरु करना चाहिए हमारा सपना तो बहुत बड़ा होने का होता हैं। लेकिन पहले ही प्रयत्न में ऐसी सफलता प्राप्त करने की कोशिश न करते हुए, धीरे-धीरे सफलता की ओर जाओ। अपनी आर्थिक क्षमता पहचानकर उद्योग का विस्तार कितना रखने का इसको मर्यादा रखो।
आज हम जहाँ है, उससे थोड़ा आगे जाकर, सफलता-असफलता का अनुभव लो। और उस अनुभव से आपका इच्छित लक्ष्य, साध्य, सपना पूरा करो । संसार का कोई भी उद्योगधंधा सौ प्रतिशत बिना धोखे के नहीं होता, थोड़ा सा ही क्यों न हो आर्थिक धोखा स्वीकारके व्यवसाय में प्रवेश करना होता है।
जिन्हें आर्थिक धोखा स्विकारने का नहीं अथवा वह धोखा सहने की, निभाने की जिनकी आर्थिक-मानसिक क्षमता नहीं है ऐसे लोग उद्योग व्यापार की ओर ना जायें। एक बार नुकसान हुआ मतलब सब कुछ खत्म हुआ ऐसा नकारात्मक दृष्टीकोन न रखते हुए नुकसान क्यों हुआ इसका अध्ययन करके आर्थिक नुकसान के भरपाई की मानसिक तैयारी चाहिए।
इसलिए भांडवल की (पैसों की) उपलब्धता न हो तो ही कर्ज से अर्थसहायता लिजिए । आर्थिक नियोजन न हो तो जंगम मालमत्ता गिरवी देकर, जमानत देकर स्थानिक बैंकें, पतसंस्थाएँ इनकी ओर से कर्ज उपलब्ध कर सकते हैं। राज्यशासन और केंद्रशासन के लघुउद्योग, गृहोपयोगी उद्योंगो के लिए कर्ज, अनुदान देनेवाली योजनाएँ हैं, उनका लाभ ले ।
ऐसी आर्थिक सहायता देनेवाली वित्तीय महामंडले. महिला आर्थिक विकास योजना, सरकारी (शासकीय) योजना, सुशिक्षित बेरोजगारों के लिए होनेवाली शासकीय योजनाएँ, इनकी जानकारी पुस्तक के अंत में दी हैं । इसके साथ ही अपना जिला उद्योग केंद्र, खादी ग्रामोद्योग केंद्र, सरकारी (शासकीय) बँक्स इनकी ओर से जानकारी लेकर व्यवसाय शुरु करें।
शासकीय योजनाओं की जानकारी होनेवाली कुछ पुस्तकें विक्रेताओं के पास उपलब्ध होती हैं। इनमें से हाल ही में प्रकाशित हुई नई पुस्तकों की जानकारी लेकर उनका अध्ययन किजिए । व्यवसाय के शुरु में ही पूरा आर्थिक नियोजन करो मतलब उत्पादन की शुरुवात होने के बाद आपको आर्थिक कमी महसूस नहीं होगी।