प्रभावी विज्ञापन व्यवस्था (Effective Advertising System)

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अपना उत्पादन सभी स्तर के ग्राहकों तक पहुँचाना,अपने उत्पादन की बिक्री बढ़ाना यह हर उद्योजक का प्रयत्न होता हैं। आधुनिकीकरण के युग में विज्ञापन के बलपर गुणात्मकता न होनेवाली उत्पादने बेची जाती हैं। विज्ञापन के प्रभावी उपयोग के कारण उत्पादन खर्च के अनेक गुणा अधिक कीमत से उत्पादनों की बिक्री होती हैं।

 विज्ञापन के अलग-अलग प्रकार हैं । समाचार पत्र का विज्ञापन,टी.वी. पर लाईव्ह विज्ञापन, रेडिओ से विज्ञापन करना, विविध मॅगेझीन, मासिके, दीपावली अंक, साप्ताहिक से विज्ञापन करना, इलेक्ट्रॉनिक बोर्डपर का विज्ञापन, भीड और महत्वपूर्ण स्थानों पर के डिजीटल बोर्ड पर के विज्ञापन, हँडबिल्स, पेपर पांपलेट के माध्यम से विज्ञापन, दीवार-पत्रके (भित्तीपत्रके) लगाकर दीवारों पर अक्षरों का विज्ञापन करना, अलग-अलग स्पर्धाएँ कार्यक्रम का प्रायोजकत्व स्विकारना ऐसे विज्ञापनों का स्वरुप होता हैं।

 इनमें से हमारे उत्पादन के लिए कौन-सा विज्ञापन प्रभावी हो सकता हैं, उस पद्धति से विज्ञापन कीजिए । उत्पादन का खर्चा, यातायात का खर्चा,मजदूर खर्चा ये सब खर्चे करके जब हमारा उत्पादन तैयार करते हैं, उस विज्ञापन पर कितना पैसा खर्च करके हम अपने उत्पादन की कीमत अन्य उत्पादनों के समान रख सकते हैं इसका लेखा-जोखा देखकर ही विज्ञापनों पर खर्चा किजिए।

आपने यदि लघुउद्योग शुरु किया हो तो आपका विज्ञापन, आपका माल जितने कार्यक्षेत्र में बिकेगा उतने ही मर्यादित कार्यक्षेत्र में विज्ञापन कीजिए। इसके लिए लोकल के केबल्स पर, लोकल चैनलपर, पेपर में पाम्पलेट्स डालकर स्थानिक स्तर पर छोटे-बड़े डिजीटल होडींग्ज लगाकर उस आधार पर अपने माल की, उत्पादन का विज्ञापन कीजिए। उस विज्ञापन के प्रभाव में निरंतरता रखिए ।

 जैसे-निरमा डिटर्जंट पावडर का विज्ञापन हम सालों-साल देखते  हैं।“दूध की सफेदी निरमा से आयें, रंगीन कपड़ा भी झील-मील जाये, सबकी पसंद निरमा”यह विज्ञापन और उसका यह वाक्य ! उसका विज्ञापन भारतीयों के मन में इतना उतर चुका हैं कि छोटे बच्चों से बूढ़ों तक सब लोग उनके विज्ञापन का घोषवाक्य गुणगूनाते हैं। इतना प्रभाव उस विज्ञापन का जनमानस पर हुआ हैं । इसलिए वॉशिंग पावडर’ कहने पर लोग निरमा कहते हैं ।

 ग्राहक जब दूकान में वॉशिंग पावडर खरीदने के लिए जाता हैं तब वह वॉशिंग पावडर दो कहने की अपेक्षा ‘निरमा दो’ ऐसा कहता है। आपके उत्पादन का आप जितना आकर्षक और प्रभावी विज्ञापन करेंगे उतना उत्पादन अधिक बिक जायेगा । विज्ञापन करना यह भी एक कला है।

 हम टी. वी. पर हमेशा ही विविध उत्पादनों के विज्ञापन पर अभिनेता देखते हैं। बड़ा कायलवर्ग होनेवाले सिनेमा, टी.वी. सिरीयल के अभिनेता अभिनेत्रियाँ, क्रिकेटर, प्रसिद्ध खिलाड़ी व्यक्ति, हीरोईन, खिलाड़ी जो ब्रेन्ड जो उत्पादनं का इस्तेमाल करते हैं उस ब्रेन्ड का उत्पादन ग्राहक भी खरीद लेता हैं।

 कारण वह उनका चहेता होता हैं। हमारे पसंद का हीरो फलाना एक ब्रेन्ड का उपयोग करता हैं, इसलिए उसके चाहनेवाले भी वहीं ब्रेन्ड खरीद लेते हैं और उनसे विज्ञापन करके लेने से परिणामतः कंपनी का बिक्री दर बढ़ता हैं। आप आपके उत्पादन का कार्यक्षेत्र कितना बड़ा रखेंगे, इस पर विज्ञापन का चयन निश्चित होगा, कितने लोगों तक आपका विज्ञापन पहुँचेगा और उसपर कितना खर्चा होगा इसका अंदाजा लेकर विज्ञापन करो ।

 थम्स अप जैसे ठंडे पेय का विज्ञापन टी.वी. पर हर दस मिनटों मे आता हैं । उसका विज्ञापन का खर्चा भी बहुत हैं और बिक्री भी बहुत हैं। उनके उत्पादित माल को उत्पादन के लिए आये खर्चे की अपेक्षा भी अधिक दृष्टी से महँगा ना पड़कर योग्य लगता हैं।

 इसका कारण उत्पादन का बिक्री मूल्य यह उत्पादन खर्चे के दस गुणा होता है। ग्राहक भी उस ब्रेन्ड को पसंदी देता हैं। करोंडो रुपयों का उनका टर्न ओव्हर होता हैं। उन्हें वे विज्ञापन महँगे नहीं पड़ते और सिर्फ विज्ञापन के बलपर वे अपना उत्पादन बेचते हैं।

 ग्राहकों के मनपर उन्होंने अपने विज्ञापन की छाप छोड़ी होती हैं। ग्राहक को अपना उत्पादन नाम लेकर माँगने के लिए अप्रत्यक्ष रुप से विवश किया हुआ होता हैं। आप अपना उत्पादन, उसका खर्चा, बिक्री का कार्यक्षेत्र, भौगोलिक, सामाजिक, राजकीय, आसपास की आर्थिक परिस्थिती इसका अध्ययन करके आपके उत्पादन को किस प्रकार का विज्ञापन प्रभावी होगा इसका अंदाजा लेकर वैसा विज्ञापन कीजिए।

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