कॉस्मेटीक्स उद्योग (Cosmetic Industry)

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दुनिया के बाजार में हजारों-करोडों रुपयों का व्यवहार करनेवाला कॉस्मेटीक्स उद्योग हैं। भारतीय सौंदर्य प्रसाधनों की बिक्री में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई हैं, ऐसा दिखाई देता हैं । भारत की बहुत बड़ी जनसंख्या देखें तो नवउद्योजकों को सौंदर्य प्रसाधनों के उद्योग में अच्छा मौका है, यह दिखाई देता हैं।

भारतीय हर्बल सौंदर्य प्रसाधनों को विदेशी बाजार में अच्छी माँग हैं। पाँडस्, लॅक्मे, नीव्या जैसी सौंदर्य-प्रसाधनों को सिर्फ उनके नाम से ग्राहक खरीद लेता हैं, इतनी उसकी विश्वसनीयता हैं।

ग्राहकों के आरोग्य से संबंधित कॉस्मेटिक उत्पादनों का उपयोग होने से कॉस्मेटिक्स, सौर्य प्रसाधने उत्पादित करते वक्त सरकार के बनाये हुए सभी नियम, शर्ते और मानकों की पूर्ति करके ही उत्पादने बाजार में लानी चाहिए।

 उत्पादक ने जो कोई कॉस्मेटिक उत्पादन किया होगा उस उत्पादन पर उत्पादक का नाम, उत्पादन प्रक्रिया में शामिल घटकों के नाम उन्हें उपयोग में लाने के फॉर्मुलें, नियम, सुरक्षितता की सूचनाएँ उत्पादन की तारीख, उत्पादन सुस्थिति में रहने की अंतिम तारीख, बॅच नंबर, हेल्पलाईन क्रमांक ऐसी जानकारी होनी चाहिए।

 सौंदर्य प्रसाधनों में भी सरकारने दवाईयों के उत्पादन के लिए होनेवाले नियम लगाकर कॉस्मेटिक्स उत्पादनों का उत्पादन यह “ड्रग अँड कॉस्मेटिक अॅक्ट’ 1940 के अनुसार करना पड़ता हैं । उत्पादन शुरु होने से पूर्व आरोग्य विभाग की मंजूरी लेनी पड़ती हैं।

 कॉस्मेटिक्स उत्पादनें निर्मिती करने की जगहें स्वच्छ और निवासी बस्तीयों से दूर होनी चाहिए। कॉस्मेटिक्स उत्पादनों की मंजूरी लेनेवाला उत्पादक यह खुद डी-फार्मसी डिप्लोमा अथवा डिग्री अथवा रसायनशास्त्र में इंटर उत्तीर्ण किया हुआ होना चाहिए ।

 जिन्हे कॉस्मेटिक्स उद्योग शुरु करने का हैं, उन्हें सर्वप्रथम ‘दड्रग्ज अँड कॉस्मेटिक्स अॅक्ट अँड रुल्स्’ इस सरकारी किताब का अध्ययन करके विस्तृत जानकारी लेना आवश्यक हैं।

 मनुष्य के आरोग्य से नजदीक का संबंध होनेवाली कॉस्मेटिक उत्पादने होने से उद्योग की शुरुवात करने से पूर्व सरकार के सभी. नियमों की, कानूनों की, शर्तो की, मानकों की पूरी पूर्तता करके ही उत्पादन लिजिए।

सौंदर्य-प्रसाधनो के उत्पादनों की सूची में सैकड़ों उत्पादनों के नाम आते हैं। इनमें से हम कौन- -सा उत्पादन शुरु करें, इसकी निश्चिती सर्वप्रथम करें ।

 उदा. टाल्कम पावडर, स्नो, क्रीम्स, बेबी पावडर, सुगंधी बालों का तेल, फेस पावडर, प्रिकली हीट पावडर, बदाम का तेल, तील का तेल, वनस्पती तेल, खोपरे का तेल, टूथपेस्ट, टूथपावडर, व्हॅनिशिंग क्रीम, कोल्ड-क्रीम, आँवला तेल, कोरफड से बनाई जानेवाली उत्पादने, नेलपॉलिश, लिपस्टीक, बॉडी-स्प्रे, शैम्पू, नहाने के साबुन, चेहरे पर लगाये जानेवाले विविध क्रीम्स, मेकअप के लिए लगनेवाली उत्पादने, विविध कॉस्मेटिक्स इनमें से अपना उत्पादन कौनसा यह तय करना चाहिए।

 उसके लिए लगनेवाला कच्चा माल स्थानिक बाजार से अथवा आसपास उपलब्ध हो सकता हैं क्या इसकी निश्चितता कीजिए ।

 जो कॉस्मेटिक उत्पादन लेना हैं, उसकी स्पर्धक उत्पादने बाजार में कितनी हैं, उनकी किमतें कितनी हैं, उनके विज्ञापन कैसे हैं, उनकी वितरण-प्रणाली कैसी है, वितरकों को दिया जानेवाला मार्जिन प्रतिशत कितना हैं इन सबका अध्ययन करके, मार्केट रिसर्च करके, तज्ञों से उत्पादन को ऊँचा दर्जा प्राप्त हो इसलिए फॉर्मुले बनवाकर लेना यह सब प्रक्रिया पूरी करके ही उत्पादन लेना पड़ेगा।

 मार्केट :

कम-से-कम सुबह नहाने के बाद चेहरे पर टाल्कम पावडर तो हर मनुष्य लगाता ही हैं। इसी कारण प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप में तो आसपास का हर मनुष्य यह अपना ग्राहक हैं ।

 बाजार में जिस उत्पादन की अधिक माँग हैं और स्पर्धा कम हैं ऐसा उत्पादन बनाया हो तो वह बेचने के लिए ब्युटी पार्लर, स्टेशनरी दुकाने,दवाईयों की दुकाने, सौंदर्य प्रसाधनो की खास दुकानें, बिक्री-प्रदर्शने, मॉल्स, सुपर मार्केटस् यहाँ हम अपनी उत्पादने बेच सकते हैं। इसके साथ ही सौंदर्य-प्रसाधनों के होलसेल व्यापारियों को भी माल दे सकते हैं । डोअर टु डोअर मार्केटींग में भी कॉस्मेटीक की बिक्री अधिक हैं।

रॉ मटेरियल :

जो उत्पादन करने का तय करेंगे उसके अनुसार कच्चा माल लगेगा । जैसे-नेलपेंट बनाने के लिए एमयल अल्कोहोल, इथायल एसिटेट, नायट्रो सेलुलोज, मिथाईल ईथर, ईस्टर गम, आयसो प्रोफाईल अल्कोहोल, रंग आदि कच्चे माल की आवश्यकता हैं।

मशिनरी :

जो उत्पादन शुरु करने का है, उसके लिए विशिष्ट ऐसी स्वयंचलित मशिनरी लगेगी।

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