आधुनिकीकरण ने ग्रामिण और शहरी इन दोनों भागों को घेर लिया है। शहरों में तो सिमेंट काँक्रीट के इमारतों के जंगल निर्माण हुए हैं। करोडों अरबों रुपयों का टर्नओव्हर सिमेंट उद्योग में हो रहा है।
बहुत माँग होने से सिमेंट निर्मिती उद्योगों में निश्चित फायदा होता है। देश की अर्थव्यवस्था में भी सिमेंट-उद्योग का अच्छा सहयोग हैं। सिमेंट उद्योगों में आजतक सिर्फ बड़े प्रकल्प उत्पादन करते थे। परंतु आज छोटे लघुसीमेंट प्रकल्पों को भी सरकार ने प्रेरणा देने से छोटे और मध्यम स्वरुप के सिमेंट प्रकल्प शुरु हो रहे हैं।
छोटे सिमेंट प्रकल्पों में व्ही. एस्. के तंत्रज्ञान का उपयोग कियाजा रहा हैं। बढ़ते शहरीकरण के साथ ही ग्रामीण भाग के लोगों का जीवनमान बदल रहा है। सीधे-सादे मिट्टी के खपरैल घर जाकर उस जगह सिमेंट काँक्रीट के घर बनाये जा रहे हैं।
घर बानाने के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण भाग मतलब सीमेंट हैं । सिमेंट के बिना आज बांधकाम का काम होता नहीं हैं, ऐसी परिस्थिति है । बहुमंझिली इमारतें, अपार्टमेंटस, बंगले, घर, रो-हाऊसेस, उड्डाणपुल, धरणे, रास्ते, पूल ऐसे हर कन्स्ट्रक्शन के काम के लिए सिमेंट की बड़ी माँग है ।
सिमेंट उत्पादन के लिए लगनेवाला प्रमुख कच्चा माल मतलब चुनखड़ी का पत्थर हैं । चुनखड़ी के पत्थर हमारे देश के अधिकतर राज्यों में उपलब्ध होने से, चुनखडी के पत्थर के खानों के आसपास सीमेंट उत्पादन प्रकल्प शुरु किए जाते हैं।
जहाँ चुनखड़ी का कम साठा उपलब्ध है और कुछ साल ही उसका उपयोग होगा ऐसी संभावना लगती हैं उन्हें वहाँ लघु सिमेंट प्रकल्प शुरु करने चाहिए । सिमेंट बिक्री के लिए देश के हर भाग में ग्राहक उपलब्ध होने से जहाँ उत्पादन करना हैं, उसके आसपास ही उसकी बिक्री करने के लिए बाजार ढूँढिए ।
कारण उत्पादन खर्च और यातायात खर्च इनका समतोल करके उत्पादन सस्ते में बेच सकते हैं । यातायात खर्च कम होने से उत्पादन कम किमत में बेच सकते हैं।
अच्छे दर्जे का सिमेंट उत्पादन करके यातायात खर्च कम कर सकते हैं। स्पर्धक उत्पादनों की तुलना में किमत थोड़ी कम रखेंगे तो माँग भी बढ़ेगी। पोर्टलंँड सिमेंट उत्पादन के लिए बॉक्साईट, लेटेराईट, समुद्री शैल, कोयला, तेल, मृण्मयी पदार्थ और चुना का पत्थर इनकी जरूरत होती हैं।
सिमेंट का सेटींग टाईम बढ़े, इसलिए उसमें जिप्सम मिलाया जाता हैं। छोटे सिमेंट प्रकल्पों में भी उच्च दर्जे का सिमेंट तैयार किया जाता है । सबसे अधिक छोटे सिमेंट उत्पादन प्रकल्प चीन देश में कार्यरत हैं ।
बीस से पच्चीस टन प्रतिदिन उत्पादन क्षमता होनेवाले प्रकल्पों को छोटे अथवा लघु-प्रकल्प कहा जाता है।चुने का पत्थर और कोक नब्बे से एक सो सत्तर मेश में से जायेगा ऐसा पल्वराईज किया जाता हैं । होमिजिनायजर में पल्वराईज कच्चा माल होमिनाईज्ड किया जाता हैं।
रॉष्ट भट्टी में उन्हें नोड्युलाईज्ड किया जाता हैं। सिटरींग जोन शैल के कारण संयुक्त होकर शैल के नीचे तिहेरी रोटरी डिसचार्ज गेट के साथ वायु सिलिंग के साथ भट्टी और संयुक्त रोटरी डिसचार्ज से क्लिनर तक एक ही गति में डिसचार्ज की सुविधा होती हैं ।
हरा नोड्युल जोन में से धीरे-से नीचे आकर फ्लु गॅस के संपर्क में आता हैं । नोड्युल सिनीटरींग जोन मे सुखाकर उसका सिमेंट तैयार होने के लिए ऑक्साईड से उसका संयोग (संपर्क) करते हैं। क्लिनअर में ऐसा तैयार किया हुआ सिमेंट हवा के संपर्क मे जल्दी आता है और ठंडा होकर नीचे गिरता है ।
सिमेंट उत्पादन का लघु मध्यम प्रकल्प शुरु करने के लिए कन्सलटंट की ओर से अधिक जानकारी लिजिए । विशेषज्ञों से कच्चा माल (कच्ची सामग्री), मशीनरी के साथ प्रोजेक्ट के लिए आनेवाले फिलहाल के खर्चे का अचुक प्रकल्प अहवाल बनाकर लिजिए । भांडवली उद्योग होने से भांडवल और साधन-सामग्री को पूर्णतः इकट्ठा करना पड़ेगा।
Table of Contents
मार्केट :
सिमेंट बिक्री के लिए आप डिलर्स नियुक्त करके अपना सारा माल डिलर के माध्यम से वितरित कर सकते हैं। माँग ही बहुत होने से ग्राहक मिलेगा क्या इसका डर कम-से-कम इस व्यवसायों में तो नहीं होता। खुद मार्केटींग करना हो तो अधिक नफा मिलेगा। सिमेंट के रिटेल बिक्रेता, एजन्सीज, बिल्डर्स, सेंट्रींग कॉट्रॅक्टर्स इनसे मिलकर आप अपना माल उन्हें बेच सकेंगे।
रॉ मटेरियल :
चुने का पत्थर, बॉक्साईट, मृण्मयी पदार्थ, समुद्री शैल, कोक, तेल, कोयला, लेटेराईट, जिप्सम, पानी आदि.
मशीनरी :
हॅमर मील, जॉ-क्रशर, बॉल-मील, बकेट एलीवेटर, भट्टी, टंकी, बॉल मोल हवर, मोटर, बिजली, नॉड्युल गिझर आदि मशीनरी चाहिए।