भारतीय जीवनशैली में बालों की उचित देखभाल करना इस काम के लिए विविध प्रकार के आयुर्वेदिक तेलों का उपयोग प्राचीन काल से किया जाता हैं। नारियल का शुद्ध खोपरेल तेल तो आमतौर पर सभी लोग सिर पर लगाते हैं । बालों के मूल को जीवनसत्व मिलने के लिए, बाल सफेद न हो इसके लिए, बालों में , जीव-जंतू न हो इसलिए औषधि वनस्पतियों का रस होनेवाली तेलों का उपयोग किया जाता हैं।
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तेल कैसे बनाया जाता है और क्यु तेल का उपयोग हम बालो मे लगाने के लिए करते है?
सौंदर्य प्रसाधनों के उद्योगों में ऐसे आयुर्वेदिक तेलों की बहुत-सी उत्पादनें अच्छा व्यवसाय करती हैं। खोपरेल तेल, मूंगफली का तेल, सरसों का तेल शुद्ध करके उसमें सुगंधी द्रव्यों का मिश्रण करके सुगंधी आयुर्वेदिक केश तेल बनाया जाता हैं ।
बालों का गिरना रोकना, गंजे न हो इसलिए तेलों में माका, आँवला, भृगराज, ऐसे आयुर्वेदिक वनस्पतियों के रस का मिश्रण करके तैयार की हुई बहुत सी उत्पादने बाजार में है। वैसे पाश्चात्य देशों में बालों को तेल लगाने की प्रथा बहुत कम हैं । परंतु भारतीय लोगों के बाल काले और मुलायम होते हैं।
बालों का रंग काला ही रहें, बाल जल्दी सफेद न हो ऐसी खबरदारी अधिकतर भारतीय लोग लेते हैं। एरंडी का तेल, तील का तेल, खोपरे का तेल, मूंगफली का तेल, सरसों का तेल सिरको (बालों को) लगाने के लिए उपयोग में आते हैं । इन तेलों में से ग्लिसराईड, ओलिक लिनोतिक होने के कारण ये सारी तेलें बालों को और त्वचा को फायदेमंद साबित होती हैं।
तेल अधिक दिन कैसे टिक पाते है?
कच्चे वनस्पती तेलों को एक प्रकार का सुगंध होता हैं और उनका मूल एक रंग होता हैं। इसलिए यह तेलें रिफाईंड प्रक्रिया के द्वारा शुद्ध की जाती हैं । शुद्धीकरण प्रक्रिया के द्वारा तेलों का रंग और सुगंध दूर किया जाता हैं । कच्ची तेलें कुछ दिनों में खराब हो जाती हैं ।
इसलिए उनमें मान्यताप्राप्त ऐसी रसायने मिलाई जाती हैं। ऐसी रसायने मिलाने से वह तेलें अधिक दिन टिकती हैं। वनस्पती तेलें खराब न हो इसलिए उसमें बेन्जॉईक नाम का रसायन मिलाया जाता हैं । इसका प्रमाण फॉर्मुले के अनुसार निश्चित करें ।
ऐसे शुद्ध तेलों को बाद में सुगंधी तेलें बनाने के लिए सुगंधी प्राकृतिक वनस्पतियों का उपयोग किया जाता हैं। व्यापारी उत्पादन करना हो तो संभवतः तैयार परफ्युम अथवा इत्र, प्राकृतिक सुगंधी द्रव्ये प्रमाण के अनुसार मिलाकर उत्पादनें बनाई जाती हैं। उत्पादन का प्रमाण कम होतो शुद्ध किया हुआ तेल उबाला जाता हैं।
और उसमें आयुर्वेदिक औषधि वनस्पती और सुगंधी वनस्पतियों की जड़ी-बूटियाँ तेल गरम करते वक्त डाली जाती हैं। उसके बाद जड़ी-बूटियाँ कुछ दिन वैसे ही तेल में रस( अर्क) उतारने के लिए रखी जाती हैं।
साधारणतः पंद्रह दिनों के बाद इस तेल से इन जडी-बूटियोंको के भाग निकाले जाते हैं। उसके बाद वह तेल वस्त्रों से छनने के बाद अथवा फिल्टर की मदद से पूर्ण स्वच्छ और शुद्ध किया जाता हैं ।
तेल को रंगदार और सुगंधदार कैसे बनाये जाते है?
तेलों में आयुर्वेदिक वनस्पती और सुगंधी द्रव्यों का मिश्रण करते वक्त माँग के अनुसार उस तेल का रंग तैयार करने के लिए मान्यता प्राप्त रंग उसमें मिलाया जाता हैं। चमेली, गुलाब, मोगरा, गुड़हल, रातरानी, ऐसे फूलों के सुगंध भी बाजार में मिलते हैं।
उत्पादन के माँग के अनुसार ऐसी परफ्युम्स उस तेल में मिलाकर सुगंधी तेलें बनाई जाती हैं। उन्हें काँच के अथवा प्लॉस्टिक के बोतलों में पॅक करके लेबलींग करके खुद के ब्रँड नेम पर बाजार में बिक्री के लिए लाई जाती हैं। सुगंधी तेलों के बहुत-से विज्ञापन टी.वी जैसे माध्यमों से प्रसारित होते हैं।
इसी कारण ऐसे विज्ञापनों का जनसामान्य पर बहुत-सा प्रभाव होने से बाजार के कुछ निश्चित ब्रँड की बिक्री अधिक होती हैं। केशतेल उत्पादन बिक्री में बड़ी कंपनियों की स्पर्धा हैं। इसी कारण अपना उत्पादन लेकर बाजार में प्रवेश करते वक्त उस उत्पादन का दर्जा उत्तम हो। वैसे खुद का एक ब्रँड बनवाकर विज्ञापन का भी आधार लेना पड़ेगा।
तेल उत्पाद के बाद उसकी मार्केटिंग कैसे करे?
आयुर्वेदिक तेले बेचनेवाले होलसेलर्स उन्हें अपेक्षित (जो चाहिए वह) कीमतें, वजन के अनुसार पॅकींग्ज उत्पादित करके दे सकते हैं, सौंदर्य प्रसाधनों की दकाने, किराणा माल की दूकाने, दवाईयों की दूकाने, शॉपिंग मॉल्स यहाँ प्रत्यक्ष अपनी कंपनी की गाड़ी लेकर जाकर उन्हें उनके काउंटर पर ही माल दे सकते हैं। बिक्री प्रतिनिधी की नियुक्ति करके डोअर टू डोअर मार्केटींग में भी माल की अच्छी बिक्री होती हैं।
तेल बानाने के लिए क्या रॉ मटेरियल चहिये?
खोपरे का तेल, मूंगफली का तेल, सरकी अथवा तिल का तेल, माका, भुंगराज, ऑवला इनका रस (अर्क), फुलों की सुगंधी द्रव्ये, परफ्युमस आदि कच्चे माल की आवश्यकता हैं।
तेल उत्पाद के लिए किन मशिनो कि जरुरत पडती है?
फिल्टर मशीनरी का सेट, मिक्सर , पैकींग मशीन आदि मशिनरी लगेगी।
FAQ
Q.1 क्या यह व्यावसाय शुरू करने से पहले कानूनी इजाजत चहिये होती है?
उत्पादन के लिए ‘ड्रग अँड कॉस्मेटिक अॅक्ट 1940’ के अनुसार सभी कानूनी बातों की पूर्ति करके मंजूरी लेकर ही उत्पादन और बिक्री करनी पडती है ।
Q.2 इस व्यवसाय को हम कितने रुपये मे शुरू कर सकते है?
इस व्यवसाय को हम 4 से 5 लाखँ रुपये लगाकर शुरू कर सकते है ।